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Tuesday, February 11, 2020

दिल्ली में 7 साल में यूं शिखर से शून्य तक पहुंची कांग्रेस, दूसरे स्थान पर भी नहीं बना सकी जगह




  • राष्ट्रीय मंगलवारर 11 फरवरी, 2020 |नई दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनावों में एक बार फिर से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। 15 साल लगातार दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस महज 7 सालों में शिखर से शून्य पर पहुंच गई है। अब कांग्रेसी दिग्गज कह रहे हैं कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत विकास के एजेंडे की जीत है... दिल्ली में बीजेपी के साथ क्या हुआ जो बड़े-बड़े दावे कर रही थी? इन बयानों को पढ़कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कांग्रेस के नेता अभी भी खुद की फजीहत छोड़ बीजेपी की हार से ज्यादा खुश दिखाई दे रहे हैं। यह बात अलग है कि कांग्रेस के उम्मीदवार 70 विधानसभा सीटों में से एक सीट पर भी दूसरे स्थान पर भी जगह नहीं बना सके हैं।






क्या इन चुनावों ने दिल्ली में कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है। यह हम नहीं कह रहे हैं। दिल्ली में कांग्रेस अगर बेदम और सरेंडर की मुद्रा में आ गई है तो इसके पीछे तीन चुनाव के आंकड़े बहुत कुछ साफ बयां कर रहे हैं। हालत यह है कि कांग्रेस का वोट शेयर इस बार 5 फीसदी के अंदर सिमट गया है। कभी शीला दीक्षित की अगुआई में जिस कांग्रेस का सूरज दिल्ली में कभी अस्त नहीं होता था, इस चुनाव में वह लड़ाई लड़ने से पहले ही हार का मन बना चुकी थी।2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 24.55 फीसदी वोट शेयर (19.32 लाख मत) के साथ 8 सीटें जीती थीं। यह आम आदमी पार्टी के उभार का साल था और इसकी कीमत कांग्रेस ने चुकाई। जहां शीला दीक्षित नई दिल्ली सीट पर खुद केजरीवाल से चुनाव हारीं, वहीं आम आदमी पार्टी ने जोरदार आगाज के साथ 29.49 प्रतिशत वोट शेयर और 29 सीटें जीत लीं। बीजेपी 33.07 प्रतिशत वोट शेयर (26.04 लाख मत) और 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं चल सकी।


इसके बाद फरवरी 2015 में एक बार फिर दिल्ली में चुनाव हुए। इस बार 'पांच साल केजरीवाल' की झाड़ू चली और कांग्रेस पूरी तरह साफ हो गई। ऐसा पहली बार था जब राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका। दिल्ली में सिर्फ 9.8 फीसदी वोटर्स ने हाथ का साथ दिया और पार्टी का वोट शेयर हैरतअंगेज रूप से 15 प्रतिशत तक गिर गया। 2013 में कांग्रेस को 19 लाख से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन इस चुनाव में 8.4 लाख मतदाताओं ने ही हाथ का बटन दबाया। हालांकि आप की प्रचंड लहर के बावजूद बीजेपी अपना वोट शेयर बचाने में तकरीबन कामयाब रही थी। बीजेपी सिर्फ 1 फीसदी नुकसान के साथ 32.1 प्रतिशत वोट हासिल किए।2020 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस ने गिरावट का मानो कीर्तिमान बना दिया। चुनाव आयोग से मिले अंतिम आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस को अब तक सिर्फ 4.25 फीसदी वोट मिले हैं। यानी उसके वोट शेयर में 2015 के मुकाबले 5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट है। हालत यह है कि पार्टी शून्य के आंकड़े को एक बार फिर दोहराने की कगार पर है। रुझानों के मुताबिक 70 में से किसी सीट पर पार्टी का कोई कैंडिडेट आगे नहीं चल रहा है।




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