- राष्ट्रीयबुधवार 5 फरवरी, 2020 नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगर सरकार की इच्छा हो और मानसिकता में बदलाव होता है तो महिला अधिकारियों को सेना में कमान पद दिए जा सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि युद्धक अभियानों के साथ कई अन्य सेवाएं भी हैं जहां महिलाओं को समायोजित किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ वकील आर. बालासुब्रमण्यम ने कहा कि नियुक्तियों में कोई नियम नहीं हैं, जो पदोन्नति, नियुक्तियों आदि में लिंग आधारित भेदभाव में योगदान देते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी प्रावधान और नियम पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से लागू होते हैं और लैंगिक भेदभाव का कोई भी कथन गलत है।न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लैंगिक भेदभाव को दूर करने के लिए दो चीजें जरूरी है-प्रशासनिक इच्छा और मानसिकता में बदलाव। इस पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी भी शामिल हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि महिलाएं, पुरुषों से बेहतर हैं और स्पष्ट किया कि वह यह तर्क नहीं दिया कि पुरुष महिलाओं से कमांड नहीं ले सकते। कोर्ट ने आदेश सुरक्षित कर लिया और सभी संबंधित पार्टियों को सभी नोट व निवेदन को प्रस्तुत करने को कहा।