इन भवनों के ध्वस्तीकरण के लिये वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-1 व खण्ड-5, लोक निर्माण विभाग के अनुरक्षण मैनुअल पार्ट-2 (भवन) तथा अन्य सुसंगत प्राविधानों के अधीन कतिपय शर्ताें/प्रतिबन्धों के अधीन अनुमति प्रदान की गई है। इसके अनुसार विभाग द्वारा वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-1 व खण्ड-5, लोक निर्माण विभाग के अनुरक्षण मैनुअल पार्ट-2 (भवन) के साथ ही समय-समय पर इस हेतु निर्गत आदेशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही, ध्वस्तीकरण से प्राप्त सामग्री (मलबा आदि) के निस्तारण के फलस्वरूप प्राप्त धनराशि को राजकोष में जमा किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।
इन भवनों के ध्वस्तीकरण के पश्चात भवनों के पुस्तांकित मूल्य में से मलबे के निस्तारण से प्राप्त धनराशि को समायोजित करते हुए अनुमानित कुल धनराशि
27 लाख 68 हजार रुपए को बट्टे खाते में डाले जाने की अनुमति प्रदान की गयी है।
जनसामान्य को उच्च एवं गुणवत्तापरक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के दृष्टिगत जनपद प्रयागराज के बहादुरपुर ब्लाॅक के अन्तर्गत ग्राम कोटवा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाये जाने हेतु पुराने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में स्थित भवनों के ध्वस्तीकरण कर इस स्थल पर स्वीकृत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, कोटवा का भवन निर्माण किया जाएगा।
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में मेडिकल
मंत्रिपरिषद ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में मेडिकल टेक्नोलाॅजी के छात्रों हेतु 200 बेड छात्रावास (जी$6) के निर्माण में उच्च विशिष्टयों जैसे-फाॅल्स सीलिंग के प्रयोग सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
आयुर्विज्ञान संस्थान के परिसर में मेडिकल टेक्नोलाॅजी के छात्रों हेतु 200 बेड छात्रावास के निर्माण कार्य की प्रायोजना हेतु शासनादेश दिनांक 22 जुलाई, 2019 द्वारा उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था नामित किया गया।
कार्यदायी संस्था द्वारा प्रस्तुत आगणन को पी0एफ0ए0डी0 द्वारा मूल्यांकित करते हुए प्रायोजना में प्रयुक्त उच्च विशिष्टियों यथा-फाॅल्स सीलिंग के प्रयोग पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त किए जाने का परामर्श दिया गया। पी0एफ0ए0डी0 द्वारा कतिपय शर्ताें/प्रतिबन्धों के अधीन प्रायोजना की मूल्यांकित लागत 1215.21 लाख रुपए $ नियमानुसार (जी0एस0टी0 देय) /अनुमोदित की गई।
उ0प्र0 जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलपति द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रस्ताव के परिप्रेक्ष्य में ‘उत्तर प्रदेश जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय अधिनियम, 2001 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 32 सन् 2001)’ में कतिपय संशोधन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद ने इस हेतु ‘उत्तर प्रदेश जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019’ के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है। यह विधेयक विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुरःस्थापित/प्रख्यापित किया जाएगा।
संशोधन के उपरान्त विश्वविद्यालय का नाम जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के स्थान पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट होगा। अंगे्रजी भाषा में इसका रूपान्तरण Jagadguru Rambhadracharya Divyang University, Chitrakoot होगा। इसके अलावा, विश्वविद्यालय के अधिनियम में जहां भी ‘विकलांग’ शब्द का उल्लेख किया गया है, उस स्थान पर ‘विकलांग’ शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द पढ़ा एवं माना जाएगा।
उत्तर प्रदेश जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय’ अधिनियम, 2001 के अध्याय-2 की धारा-4 (विश्वविद्यालय राज्य सरकार से, या राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी अन्य निकाय या निगम से किसी सहायता, अनुदान या अन्य कोई वित्तीय सहायता के लिए हकदार न होगा) को विलुप्त कर इसके स्थान ‘विश्वविद्यालय केन्द्र सरकार, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार से या किसी अन्य राज्य सरकार या किसी केन्द्र शासित राज्य या राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी अन्य निकाय या निगम या किसी और सरकारी संगठन या संस्थाएं या किसी व्यक्ति से किसी सहायता, अनुदान या वित्तीय सहायता के प्राप्त करने के लिए हकदार होगा’ कर दिया जाएगा।
अधिनियम में उल्लिखित आई0टी0 एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग के प्रत्येक स्थान पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग किया जाएगा। अधिनियम की धारा-4 के अन्तर्गत प्राप्त वित्तीय सहायता विश्वविद्यालय की सामान्य निधि में संरक्षित की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि शासन स्तर पर सम्यक् विचारोपरान्त मुख्यमंत्री जी से प्राप्त अनुमोदन के क्रम में कार्यालय ज्ञाप दिनांक 03 अक्टूबर, 2019 द्वारा जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट का शासन स्तर पर प्रशासनिक विभाग आई0टी0 एवं इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग के स्थान पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग कर दिया गया है। वर्तमान में यह विश्वविद्यालय दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के अधीन है।
उ0प्र0 आबकारी (भांग की फुटकर दुकानों का व्यवस्थापन)
मंत्रिपरिषद, ने ‘उत्तर प्रदेश आबकारी (भांग की फुटकर दुकानों का व्यवस्थापन) नियमावली-2019’ के प्रख्यापन का निर्णय लिया है।
आबकारी नीति 2019-2020 में भांग की फुटकर दुकानों का व्यवस्थापन भी ई-लाॅटरी के माध्यम से दुकानवार किए जाने का प्राविधान किया गया है। भांग की फुटकर दुकानों के व्यवस्थापन के सम्बन्ध में हुए आधारभूत एवं आमूल-चूल परिवर्तन के कारण व्यावहारिक, विधिक एवं तकनीकी दृष्टिकोण से नए प्राविधानों का समावेश करते हुए, पूर्व में विद्यमान एवं प्रभावी नियमावली को निरसित करते हुए नई नियमावली ‘उत्तर प्रदेश आबकारी (भांग की फुटकर दुकानों का व्यवस्थापन) नियमावली-2019’ का प्रख्यापन किया जा रहा है।
इसमें भांग की दुकानवार सूची, प्रतिफल शुल्क, वार्षिक न्यूनतम प्रत्याभूत मात्रा, लाइसेंस फीस, प्रतिभूति धनराशि और धरोहर धनराशि आदि का विवरण आबकारी विभाग की वेबसाइट ूूूwww.upexcise.in पर अपलोड करने एवं दुकानों की प्रास्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दुकान को जियो-टैग और जियो फेंस करने के साथ-साथ ई-पेमेण्ट के माध्यम से भुगतान करने का प्राविधान किया गया है।
अब तक भांग की फुटकर दुकानों का व्यवस्थापन ‘उत्तर प्रदेश आबकारी लाइसेन्स (टेण्डर एवं नीलामी) नियमावली, 1991’ में निहित प्राविधानों के अनुसार किया जाता रहा है। आबकारी दुकानों के अनुज्ञापन हेतु चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से देशी शराब और विदेशी शराब की फुटकर दुकानों एवं माॅडल शाॅप का व्यवस्थापन दुकानवार आॅनलाइन आवेदन पत्र प्राप्त कर ई-लाॅटरी के माध्यम से किए जाने का प्राविधान आबकारी नीति 2018-19 में किया गया है।
भांग एक जंगली मादक पौधा होता है, जो कहीं भी अनुकूल वातावरण में स्वयं पैदा होता है। मादक पदार्थ होने के कारण भांग के दुरुपयोग को रोकने हेतु आबकारी विभाग द्वारा इसे विभिन्न कलेक्शन सेण्टर पर एकत्र करते हुए भांग के थोक आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से उपभोक्ताओं अथवा औषधीय प्रयोजन हेतु औषधि निर्माता इकाइयों को उपलब्ध कराया जाता है।