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Sunday, January 5, 2020

नौकरशाह ही नहीं।पुस्तक में फोकस किया है कि आईएएस अधिकारी के पास सकारात्मक और रचनात्मक_____

लखनऊ । 8.10  p.m रविवार 5 जनवरी 2020.                                             नौकरशाही ही नहीं।पुस्तक में उन्होंने यह फोकस किया है कि आईएएस अधिकारी के पास सकारात्मक और रचनात्मक पहलुओं पर करने के लिए बहुत अवसर होते हैं।अमेजन डाट इन में रह पुस्तक बेस्ट सेलर हैं।यह पुस्तक सिर्फ स्वान्त:सुखाय नहीं है।लोकतंत्र में कार्यपालिका की रीढ होते हैं ब्यूरोक्रेट्स।


राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत अनिल स्वरूप जी के समय शुरू हुई।आयुष्मान भारत योजना उसके बाद।


अनिल स्वरूप ने कहा कि इस पुस्तक की प्रेरणा गोपबन्धु पटनायक एवं कुछ अन्य अधिकारियों से।कोयला सचिव की जिम्मेदारी चुनौतीपूर्ण।2003 में सचिव उद्यान था।मंत्री नाराज थे।क्योंकि उद्यान मंत्री से मिलने नहीं गए थे।संशय नहीं मेरे मन में।समय रूका नहीं हम क्यों रूक गए।आईएएस अधिकारी यदि परेशान हो जाएगा तो साधारण मेहनतकश लोगों का क्या होगा।कोयला घोटाले के कैलकुलेशन में सीएजी रिपोर्ट ने भयावह स्थिति पैदा की।हमने गलती किया या नहीं लेकिन यदि किसीको फायदा मिला तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार।सचिव शिक्षा रहा।जनता की सेवा करने के लिए आईएएस अफसरों के पास बहुत अवसर।


 हसीब सिद्दीक ने कहा कि सूचना निदेशक की भूमिका महत्वपूर्ण।पत्रकार बीमा योजना अनिल स्वरूप जी के समय शुरू हुई।पेंशन योजना भी प्रस्तावित थी।लेकिन हो नहीं पायी।सुरेश बहादुर ने कहा कि यह सौभाग्य का दिन की तीनों बेजोड़ अफसर एक साथ बैठें हों। श्रीरोहित नंदन ने कहा कि अंग्रेजी भाषा का सीमित दायरा।लेकिन हिन्दी में इस पुस्तक का प्रचार-प्रसार ज्यादा होगा।प्रशासनिक अमले को इस पुस्तक से लाभ होगा।अनिल जी ने जिस बेबाकी बहादुरी से अपने अनुभवों को पुस्तक में उकेरा है वह चुनौतीपूर्ण कार्य है कई नौकरशाहों ने पुस्तके लिखीं लेकिन इतना प्रसिद्धी नहीं मिलीं।कोयला प्रकरण में कमियां उजागर करना उनकी बेबाकी और ईमानदारी का ही दम था।ब्यूरोक्रेसी अब वाइसलेस नहीं रह सकती।
सिविल सर्वेन्ट को सिर्फ ट्रेडिशनल ही नहीं रहना चाहिए ।अब समय बदल रहा है इसलिए ब्यूरोक्रेट्स को भी समय की परिस्थितियों के अनुरूप अपने को तैयार करना होगा।कोयला विभाग में माफिया ऊपर थे जबकि शिक्षा विभाग में माफिया जड़ों में बैठे हैं।अगले जन्म में अगर फिर से मुझे आईएएस अफसर बनने का मौका मिला तो 'मैं गुस्सा कभी नही करूंगा'। अपने गुस्से को आज मैं अपनी एक कमी के रूप में मानता हूँ।  उपरोक्त बातें यूपी और केन्द्र सरकार में  विभिन्न प्रशासनिक पदों पर काम कर चुके रिटायर्ड आइएएस अधिकारी श्रीअनिल स्वरूप ने सेवानिवृत्ति के बाद लिखी गयी अपनी पुस्तक के विमोचन के दौरान कहीं।


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल स्वरूप की सद्य प्रकाशित पुस्तक 'नौकरशाह ही नहीं' का विमोचन हुआ। पुस्तक अनिल स्वरूप ने पहले आईपीएस और बाद में आईएएस अधिकारी के रूप में कार्य करने के दौरान हुए खट्टे मीठे अनुभवों और  सीख पर लिखी है। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का अंग्रेजी संस्करण पहले ही आ चुका है।


श्रीअनिल स्वरूप से पहले भी कई प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्ति के उपरान्त पुस्तक के माध्यम से अपने अनुभवों को साझा किया गया है। कई अधिकारी सर्विस के दौरान भी लेखन करते रहे हैं, हालांकि उपरोक्त लेखन साहित्यिक परिधि तक ही सीमित रहा। परन्तु, सेवानिवृत्ति  के उपरान्त अनेक अधिकारियों द्वारा सर्विस पीरियड के समय की बड़ी बातों का भी खुलासा लेखन के माध्यम से किया गया। कुछ इसी परम्परा के तहत अनिल स्वरूप ने भी यह पुस्तक लिखी है। और इस पुस्तक में भी सिस्टम के बारे में कई खुलासे किए हैं। 


विमोचन के दौरान खुद अनिल स्वरूप ने स्वीकारा कि सर्विस के दौरान हम बाध्य थे कि सिस्टम को लेकर हम अपनी सीमा को न लांघे। परन्तु अब समय है कि उन बातों को समाज के सामने लाया जाए जिससे सिस्टम की खामियों को ठीक करने में मदद मिले।


पुस्तक विमोचन के दौरान अनिल स्वरूप के साथ रिटायर्ड आईएएस रोहित नन्दन और गोपबंधु पटनायक भी उपस्थित रहे। विमोचन का यह कार्यक्रम पत्रकारों के यूनियन भवन (यूपी प्रेस क्लब) में आयोजित हुआ और इसमें श्रीज्ञानेन्द्र शर्मा, श्रीअतुल चन्द्रा, श्रीवीरेन्द्र श्रीसक्सेना, श्रीवीर विक्रम बहादुर मिश्र, श्रीरवीन्द्र सिंह, श्री सुरेश बहादुर सिंह, अमिता वर्मा, श्रीपीके तिवारी, श्रीराकेश पाण्डेय, सुमन गुप्ता और श्रीशिव शरण सिंह जैसे अनेक वरिष्ठ गणमान्य और समकालीन पत्रकार उपस्थित रहे। 


कार्यक्रम में यूपी प्रेस क्लब के अध्यक्ष रवीन्द्र सिंह और यूपीडब्ल्यूजेयू के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी तीनो अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारियों के साथ मंच पर बैठे थे, साथ ही लंबे समय से बड़े सरकारी गैर सरकारी कार्यक्रमों का संचालन करने के अनुभवी तथा आकाशवाणी और दूरदर्शन की भी आवाज राह चुके पत्रकार पीके तिवारी ने की।


जी बी पटनायक ने कहा कि अनिल स्वरूप लाजवाब अफसर।दो जेनरेशन के बीच पुल का कार्य करते हैं अनिल।नई जेनरेशन के आईएएस अफसरों के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी।हरिश्चंद्र जी बेगुनाह सजा पा गए।ब्यूरोक्रेट्स की ताकत होती है मीडिया।ब्यूरोक्रेट्स को सत्य का सहारा लेना चाहिए।अनिल बिना लाग लपेट के वस्तुस्थिति को उसी रूप में प्रस्तुत कर देते हैं यह उनका गुंण है।धन्यवाद ज्ञापन रवीन्द्र सिंह ने किया।


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