नागरिकता (संशोधन) कानुन 2019 पर माननीय मंत्री उत्तर प्रदेश शासन श्री महेंद्र सिंह जी के प्रेस वार्ता - मानवी मीडिया

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Friday, January 3, 2020

नागरिकता (संशोधन) कानुन 2019 पर माननीय मंत्री उत्तर प्रदेश शासन श्री महेंद्र सिंह जी के प्रेस वार्ता

बृहस्पतिवार02-- जनवरी 2020
मित्रों
आप सब जानते हैं कि भारतीय संसद के दोनों सदनों ने 'नागरिकता संशोधन बिल 2019' को पारित कर दिया है. अब यह हमारे समक्ष क़ानून का रूप ले चुका है. यह विधेयक वास्तव में ऐतिहासिक है. इसे अगर हम भारतीय विधायी इतिहास के कुछ महान कानूनों में से एक कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
भारत और भारतीयता का सबसे सुन्दर उदाहरण हम इस बिल को कह सकते हैं. शरणागत को स्थान देने के हमारे परम्परा के अनुरूप, हमारे पड़ोसी देशों के पीड़ितों को अपने परिवार का हिस्सा बनाने वाले इस कानुन से वास्तव में अल्पसंख्यकों के प्रति भारत की उदारता, दुखीजनों के प्रति भारत की संवेदना की अभिव्यक्ति होती है.  
दोनों सदन में हमारे गृह मंत्री अमित शाह जी ने बार-बार, तथ्यों के साथ यह स्पष्ट किया कि इस बिल का उद्देश्य भारत के अल्पसंख्यकों का इस बिल से कोई लेना देना नहीं है. यह बिल नागरिकता देने के लिए है न कि नागरिकता छीनने के लिए.
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, इसाई और पारसी समुदाय के लोग अगर वहां पीड़ित हैं तो वे भारत में आ कर यहां की नागरिकता ले सकते हैं. पहले से भी शरणार्थी के तौर पर रहे रहे इस समुदाय के लोगों को भारत की स्थायी नागरिकता देने का प्रावधान इस बिल में कर वास्तव में मोदी जी की सरकार ने अपने पीड़ित पड़ोसियों के आसूं पोछने, उन्हें सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर देकर भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को फिर से साकार किया है. इन पड़ोसी देशों में क्योंकि मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, अतः उनके उत्पीडन का सवाल ही नहीं है, अतः उन्हें अलग रखा गया है इस क़ानून से.
सीएए (CAA) हमारे घोषणापत्र का हिस्सा था और लोकसभा में इस मेनिफेस्टो का अपार समर्थन मिला है. दूसरी बार श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार को बहुमत देकर देश ने यह तय किया था कि यह क़ानून होना चाहिए. अनुच्छेद 370, तीन तलाक, अयोध्या मामले, एनआरसी समेत ऐसे तमाम विषय जिस पर हमें जनादेश मिला था, उन सबके लिए पहल कर भारतीय जनता पार्टी ने वास्तव में कथनी और करनी में समानता की अपनी प्रकृति का परिचय दिया है. मोदी जी की भाजपा सरकार ने जिस निष्ठा से और जितनी तेजी के साथ इन तमाम कामों को किया है, यह अद्भुत है.
मित्रों, हालांकि इस बिल के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लगातार किये जा रहे दुष्प्रचार के एक-एक बिंदु का जिस तरह श्री अमित शाह ने जवाब दिया है उसे आप सबने देखा ही है. लेकिन हमेशा देश में अफवाह फैलाकर, दुष्प्रचार कर, देश के अल्पसंख्यकों को डरा कर, फिर उनका तुष्टिकरण करके वोट बटोरने की कोशिश की वह अफसोसनाक है.
अफ़सोस इस बात का भी कि कांग्रेस सब कुछ जानते हुए भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रही. आज उसी की लगाई आग और फैलाए अफवाह के कारण असम जल रहा है जबकि मोदी जी ने भी बार-बार यह आश्वस्त किया है कि समूचे पूर्वोत्तर की संस्कृति, उसकी भाषा, रहन-सहन, डेमोग्राफी, उसकी विशिष्टता को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होने दिया जायेगा.
सब जानते हुए भी कांग्रेस वहां लोगों को एनआरसी और कैब का घालमेल कर जनता को कन्फ्यूज़ कर रही और निहित स्वार्थी समूह के लोग कांग्रेस के बहकावे पर समूचे देश को अस्थिर करने की साज़िश कर रहे हैं, यह निंदनीय है.
इस मौके पर मैं पूछना चाहता हूँ कांग्रेस से कि आखिर 70 साल तक उसने पीड़ित हिन्दू एवं अन्य समुदायों को क्यों भगवान के भरोसे छोड़ दिया था? मैं आंकड़ों में नहीं जाना चाहता लेकिन आप सबको पता है कि आज़ादी के समय इन देशों में कितने हिन्दू आदि थे और आज कितने हैं?
या तो वहां अल्पसंख्यकों की बड़ी संख्या में ह्त्या कर दी गयी, जबरन मतांतरण कर दिया गया या फिर अपनी संपत्ति और परिवार के सदस्यों को खो कर बुरी हालात में वे लोग भारत में शरणार्थी बन भारत में रह रहे हैं. उन्हें अधिकार संपन्न बनाने ही यह क़ानून लाया गया है. समझ नहीं आ रहा कि कांग्रेस को इससे तकलीफ क्या है?
हमेशा करोड़ों घुसपैठियों को भारत में बसा, उसे प्रोत्साहन देकर, उसका वोट बैंक बना कर कांग्रेस अपना उल्लू सीधा करती रही है. उसका यही अवैध कारोबार इस क़ानून से रुकेगा, इसी चिंता में समूचे देश में आग लगाने की कांग्रेस की साज़िश की जितनी निंदा की जाय, वह कम है.
भारत का विभाजन धर्म के आधार पर करना सबसे बड़ी भूल थी. इस आधार पर बँटवारा होने के बावजूद पाकिस्तान इस्लामी देश बना जबकि भारत सेक्युलर रहा. आज़ादी के बाद हुए नेहरू-लियाकत समझौते में यह स्पष्ट था कि दोनों देश अपने यहां के अल्पसंख्यकों को सम्मान और समानता के साथ जीने का अधिकार देंगे. पड़ोस में इस वादे की धज्जियां उडाई जाती रही लेकिन कांग्रेस सोयी रही और भारत में केवल साम्प्रदायिक तुष्टिकरण कर करोड़ों अवैध घुसपैठियों को संरक्षण देती रही जिसके कारण उत्तर पूर्व, पश्चिम बंगाल समेत कई प्रदेशों का डेमोग्राफी बदल गया, पर इन्हें फिक्र नहीं हुई.
आज जब कई दशक के बाद इस भूल को सुधारने की कोशिश की जा रही है तो कांग्रेस को अपना अस्तित्व ख़त्म होता नज़र आ रहा है. आश्चर्य लग रहा है कि लोकतंत्र में कोई दल केवल वोट की राजनीति के लिए देश का कितना नुकसान पहुचा सकती है. कितना गिर सकते हैं ये लोग.
मित्रों, सबसे चिंता की बात यह है कि छत्तीसगढ़ में भी अब कांग्रेस तुष्टिकरण की वही प्रक्रिया दुहरा कर प्रदेश को भी अशांत करना चाह रही है. प्रदेश की डेमोग्राफी और इसकी परिस्थिति सरहदी राज्यों से अलग है लेकिन जबरन यहां CAA को मुद्दा बनाते हुए, चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा, यहां के सीएम द्वारा भी राष्ट्रविरोधी बयान दे दे कर देश के संघीय ढाँचे पर नुकसान पहुचाया जा रहा है. इसे समय रहते रोकने की ज़रूरत है. भारतीय जनता पार्टी न केवल कांग्रेस की इस मामले में निंदा करती है बल्कि पार्टी चेतावनी भी देना चाहती है कि वह राष्ट्रद्रोही बयानों से बाज़ आये.
आप ही बताइये. क्या नागरिकता किसी राज्य का विषय हो सकता है? क्या ये छत्तीसगढ़ की नागरिकता अलग से देने जा रहे लोगों को कि कह रहे हैं यहां 'कैब' नहीं लागू होने देंगे? इसी तरह पासपोर्ट में की जा रही रूटीन बदलाव तक पर प्रदेश कांग्रेस के लोग शोरगुल कर रहे हैं. क्या ये छत्तीसगढ़ का अलग पासपोर्ट जारी करने जा रहे हैं? क्षुब्ध होता हूँ इन लोगों का बयान सुन-सुन कर.
कभी सीबीआई को प्रवेश नहीं देने की बात, कभी एनआईए को जांच करने से रोकना, (हाई कोर्ट से उसके लिए फटकार खाना) कभी आर्थिक नाकेबंदी, और अब कैब नहीं लागू करने देने की बात, पासपोर्ट पर नुक्ताचीनी .... आखिर ये लोग करना क्या चाहते हैं?
CAA जैसा क़ानून लाने के लिए हम सभी अपने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री श्री अमित शाह जी का बार-बार अभिनन्दन करते हैं. उन्हें बधाई देते हैं.
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