Makar Sankranti 2020: स्नान-दान और तिल-गुड़ का मीठा पर्व है मकर संक्रांति - मानवी मीडिया

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Tuesday, January 14, 2020

Makar Sankranti 2020: स्नान-दान और तिल-गुड़ का मीठा पर्व है मकर संक्रांति




  • राष्ट्रीय04:45 am मंगलवार 14 जनवरी, 2020 नए साल के नव आगमन के साथ दस्तक देने वाला प्रथम बेमिसाल पर्व है मकर संक्रांति। मकर संक्रांति यानी सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना। वर्ष भर सूर्य बारह राशियों में विचरण करता है। 14 जनवरी को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन सूर्य अपनी कक्षा में परिवर्तन कर दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है, उसे संक्र मण या संक्रांति कहते हैं।मकर संक्रांति पूरे भारतवर्ष में अत्यंत धूमधाम से मनाई जाती है। यही वह अनूठा पर्व है जो अनेक विविधता लिए हुए है। दक्षिण भारत में यह पोंगल कहलाती है तो पंजाब में लोहड़ी। मध्यप्रदेश में यह सकरात के नाम से जानी जाती है, वहीं कई क्षेत्रों में इसे फसल पर्व के नाम से भी मनाया जाता है।पौराणिक मान्यता के अनुसार सूर्य के मकर राशि में होने से मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति की आत्मा मोक्ष को प्राप्त करती है। महाभारत काल में अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म पितामह ने गंगा तट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का 58 दिनों तक प्रतीक्षा की थी। चूंकि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, इसलिए वे सूर्य के उत्तरायण होने पर ही मृत्यु को प्राप्त हुए और मोक्ष की प्राप्ति हुई।एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा मानकर ,बिना किसी संकोच के पलभर में अपनी मां का मस्तक काट दिया था। अपने पुत्र की इस असीम पितृ भक्ति को देखकर पिता ने उसे वर मांगने को कहा। परशुराम ने अपनी माता को पुनर्जीवित करने का वर मांगा। तथास्तु के साथ मां पुन: जीवित हो उठी। इस अतुलनीय पितृभक्ति का गवाह मकर संक्रांति का पर्व है।मकर संक्रांति के पर्व पर तिल-गुड़ खाने का विशेष महत्व है। तिल-गुड़ का मिश्रण एक-दूसरे को खिलाया जाता है जिससे आपसी रिश्तों में मिठास बनी रहे। तिल-गुड़ खिलाते समय कहा जाता है-तिल-गुड़ खाओ और मीठा-मीठा बोलो। सुहागन महिलाएं एक-दूसरे को आमंत्रित करती हैं और हल्दी-कुमकुम का टीका लगाकर उपहार देती हैं। यह पर्व बच्चों और युवाओं के लिए भी अनेक सौगातें लेकर आता है। कई स्थानों पर पतंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसमें विविध प्रकार की आकर्षक पतंगें बनाकर उड़ाई जाती हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान और दान का भी विशेष महत्त्व है। इस दिन देश के अनेक स्थानों पर मेले आयोजित किये जाते हैं जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं और सूर्य की आराधना कर जल अर्पण करते हैं। गंगा सागर और प्रयाग में संगम पर इस दिन मेले की अपूर्व शोभा देखते ही बनती है। दान धर्म को भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। दान करते रहने से लोभ,लालसा और संग्रह की प्रविति कम होती है। इस पावन पर्व पर दान अवश्य करना चाहिए। 






 




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