कोयला खदानों के लिए कोई भी कंपनी लगा सकेगी बोली, अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी-पढ़ें अन्य फैसलेे - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Wednesday, January 8, 2020

कोयला खदानों के लिए कोई भी कंपनी लगा सकेगी बोली, अध्यादेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी-पढ़ें अन्य फैसलेे




  • राष्ट्रीय समाचार02:57 pm, बुधवार 8 जनवरी 2020 नई दिल्ली सरकार ने खनन से जुड़े दो कानूनों में बदलाव के लिए अध्यादेश की मंजूरी दे दी है जिसके बाद कोई भी देसी या विदेशी कंपनी कोयला खदानों के लिए बोली लगा सकेगी। इसके अलावा 8 राज्यों में गैस ग्रिड तैयार करने का फैसला हुआ है। रेलवे के लिए इंग्लैंड के साथ एनर्जी को लेकर समझौते को भी मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा गुजरात के जामनगर में आयुर्वेद संस्थान को इंस्टीट्यूट ऑफ इम्पोर्टन्स देने का फैसला भी कैबिनेट ने किया है। नीलांचलम स्टील प्लांट में विनिवेश का जो फैसला हुआ है, उसके तहत एमएमटीसी, एनएमडीसी आदि के शेयर के कुछ हिस्से का विनिवेश किया जाएगा, इससे नीलांचलम स्टील प्लांट का विस्तार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को यहां हुई बैठक में खदान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 और कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में बदलावों के लिए 'खनिज कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2020' को मंजूरी दी।सरकार ने पिछले साल ही कोयला खनन एवं प्रसंस्करण में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी थी। बैठक के बाद कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि इस अध्यादेश के लिए कोयला खदानों का आवंटन प्राप्त करने के लिए कंपनी के 'भारत में कोयला कारोबार के क्षेत्र में होने' की शर्त हटा दी गई है। इससे किसी भी देसी या विदेशी कंपनी का बोली लगाना संभव होगा। साथ ही खनन से प्राप्त कोयले के अंतिम इस्तेमाल से जुड़ी शर्तें भी हटा दी गई हैं। इस अध्यादेश का सबसे पहला असर उन 46 खदानों की बोली प्रक्रिया पर पड़ेगा जिनका आवंटन 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। इनके लिए बोली प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनमें सबसे ज्यादा खदानें ओडिशा और कर्नाटक में हैं। ये वे खदान हैं जिनका आवंटन खदान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम में 2015 के संशोधन के आधार पर किया गया था।अध्यादेश में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी खदान के लिए पर्यावरण एवं वन मंजूरी मिली हुई है तो वह स्वत: नए आवंटी को स्थानांतरित हो जाएगी। जोशी ने कहा कि अभी नए सिरे से आवंटन के बाद कंपनी को 20 वैधानिक मंजूरियां लेनी होती हैं जिसमें आम तौर पर दो साल का समय लग जाता है। वास्तविक खनन इसके बाद ही शुरू हो पाता है।






 




Post Top Ad