- 05:13 pm बृहस्पतिवार 23 जनवरी, 2020 नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को वृहद पीठ के सुपुर्द करने या ना करने के मामले में गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से दिनेश द्विवेदी, राजीव धवन एवम् संजय पारिख ने दलीलें दी, जबकि एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा।इससे पहले सुनवाई की शुरुआत करते हुए वेणुगोपाल ने दलील दी कि अलगाववादी वहां जनमत संग्रह का मुद्दा उठाते आए हैं क्योंकि वह जम्मू कश्मीर को अलग संप्रभु राज्य बनाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि महाराजा हरि सिंह ने भारत की मदद इसलिए मांगी थी क्योंकि वहां विद्रोही घुस चुके थे। वहां पर आपराधिक घटनाएं हुईं और आंकड़े बताते हैं कि अलगाववादियों को पाकिस्तान से ट्रेनिंग दी गई ताकि यहां बर्बादी की जा सके। एटॉर्नी जनरल ने कहा कि जनमत संग्रह कोई स्थायी समाधान नहीं था। उन्होंने संविधान पीठ के समक्ष एक-एक कर ऐतिहासिक घटनाक्रम का ब्योरा दिया। साथ ही कश्मीर का भारत में विलय और जम्मू कश्मीर संविधान सभा के गठन के बारे में विस्तार से बताया। गौरतलब है कि केद्र सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर को दो भाग में बांटने और अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया था। इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर हैं, जिनपर सुनवाई हो रही है। इससे पहले याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश अधिवक्ता डॉ. राजीव धवन ने कहा 'पहली बार भारत के संविधान के अनुच्छेद-370 का उपयोग करते हुए एक राज्य को एक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। यदि वे (केंद्र) एक राज्य के लिए ऐसा करते हैं। वे इसे किसी भी राज्य के लिए कर सकते हैं
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Thursday, January 23, 2020
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धारा 370 हटाने के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
धारा 370 हटाने के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
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