पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री समक्ष चन्दौली, दुधवा, नैमिषनारायण, एवं बनारस के धार्मिक स्थलों के विकास का प्रस्तुतिकरण किया गया
पर्यटन स्थलों का विकास पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखकर किया जायें
बनारस 108 धार्मिक स्थलों को जोड़ने के लिए पावनपथ बनाने की कार्य योजना तैयार करें-
डा0 नीलकंठ तिवारी
लखनऊ -6:45 p.m.बुधवार08 जनवरी, 2020
उत्तर प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डा0 नीलकंठ तिवारी जी के समक्ष पर्यटन भवन गोमती नगर के सभागार में चन्दौली, सीतापुर, दुधवा एवं वाराणसी के तीर्थ स्थलोें के विकास एवं सौन्र्दयीकरण का प्रस्तुतिकरण किया गया। पर्यटन मंत्री ने सभी तीर्थ स्थलों को डिजाइन एवं विकास की रूपरेखा की बारीकी से निरीक्षण कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दियें।
पर्यटन मंत्री डा0 नीलकंठ तिवारी ने कहा कि चन्दौली के पर्यटन स्थल राजदरी, देवदरी वाटरफाल ,की कमियों दूर किया जायें। उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल पर सुविधाओं को बढ़ाया जायें। डा0 तिवारी ने कहा कि आने वाले पर्यटकों के ठहरने खाने एवं घूमने के लिए अच्छी सुविधाओं को बढ़ान का काम किया जायें ताकि भविष्य पुनः पर्यटक आने के लिए आकर्षित हों।
डा0 नीलकंठ तिवारी ने दुधवा नेशनल पार्क की बनायी गयी डिजाइन को और अधिक सुधारने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि अब जो डिजाइन तैयान की जाये उसे इको फ्रेंडली होना चाहिये। डा0 तिवारी ने कहा कि पर्यटकांे की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि विभाग जितनी अच्छी सुविधा पर्यटकों प्रदान करेगा, पर्यटक उतनी ही अधिक संख्या में आयेगें।
पर्यटन मंत्री ने नैमिषनरायण सीतापुर की तैयार की गयी डिजाइन की सराहना करते हुए कहा कि इसमंे नैमिष के धार्मिक महत्व की कहानियों को भी जोड़ा जायंे। उन्होंने कहा कि इसमें व्यास की गद्दी, काक भुशंडी संवाद को दर्शाया जायें। डा0 तिवारी ने कहा किसी भी ऋषि की तप/साधना नैमिष साधना आने पर ही पूरी तरह ही पूरी होती है इसका वर्णन भी डिजाइन में दर्शायी जायें।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डा0 नीलकंठ तिवारी ने वाराणसी के 108 धार्मिक/तीर्थ स्थलांे के विकास की डिजाइन में एक ऐसा पावन पथ विकसित करने का निर्देश दिया जिसमें सभी तीर्थ स्थल जुडे हों। उन्होंने कहा कि नवभौरी, मानस ज्योेर्तिलिंग, नवदुर्गा आदि 108 धार्मिक स्थलों का एक-दूसरे से कनेक्ट करने की योजना बनायी जायें। डा0 तिवारी ने कहा कि बनारस आने वाले पर्यटकों/ तीर्थ यात्रियों को एक साथ एक ही पथ पर सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना बनायी जायें।