वाराणसी 27 सितम्बर विगत एक माह से UPPCL के बड़केबाबुओ की कृपा दृष्टि से बदहाली की मार झेल रहा है पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम जिसका मुख्य कारण UPPCL के शीर्ष प्रबन्धन का निरन्तर हस्तक्षेप की कहानी चर्चाओं मे है वैसे तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का मुख्ययालय प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी मे ही स्थित है और यहाँ का कार्यक्षेत्र भी काफी बड़ा है पर यहाँ के सम्पूर्ण निर्णय शक्तिभवन के सातवें तल के अधीन होने के कारण पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का मुख्यालय अपने हालातों पर रोता व अपने वजूद पर डगमगाता नजर आ रहा है कहने को तो डिस्काम एक स्वयत सस्था है ऊपर से 23 सितम्बर को संविदा कर्मियों के 2010 से 2014 तक के ईपीएफ के लगभग 1अरब 37 करोड़ जमा न करने पर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा डिस्काम के अचानक सभी खातो को सीज करने के बाद पूरे डिस्काम मे हलचल देखने को मिल रही है कुछ दिनो बाद ही नवरात्री,दशहरा जैसे बडे पर्व आने वाले है एक तरफ विभाग मे काम करने वाली कार्यदायी संस्था भुगतान की आस मे है दूसरी ओर कर्मचारियो का वेतन जो एक मात्र डिस्काम के जिम्मेदार अधिकारियों के चलते सारे बखेड़े खड़े हुए *ईपीएफ* के मसले पर कानपुर के ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला जुलाई माह मे ही सुना दिया था परन्तु डिस्काम के जिम्मेदार अधिकारीयो ने इस मामले की गम्भीरता को नजरअंदाज कर अपने आलीशान चेम्बरो मे बैठ कर वातानुकूलित यन्त्रो की ठन्डी हवाओ का आनन्द उठाते रहे थे जिसका परिणाम आज सामने है पर इतने बड़ी घटना की जिम्मेदारी तक अभी तय नही की जा सकी इस सम्बंध मे डिस्काम के निदेशक कार्मिक से प्रगति यात्रा के सवांददाता ने जब सवाल किये तो उनके द्वारा बताया गया कि हम इलाहाबाद हाईकोर्ट मे राहत के लिये जा चुके हैं और न्यायालय से राहत की उम्मीद है एक गम्भीर बात पाठको के समक्ष लाना जरूरी है कि उच्च न्यायालय में पहले से ही कैवियट दाखिल की जा चुकी हैं कि अगर प्रबंधन अपील भी करता है तो विपक्षियों की बात भी सुनी जाए वैसे बुधवार से उच्च न्यायालय में छुट्टीया होने जा रही है और कर्मचारियो वेतन के सवाल पर लखनऊआ डायरेक्टर साहेब ने फिर कहा कि वेतन समय से दिया जायेगा उसमे कोई दिक्कत नही है!!!!!!!! हमारे पत्रकार द्वारा पूछे गए इन गम्भीर सवालो से भी उनके माथे पर कोई शिकन नही वो बेफ़िक्र बैठे रहे
*मनो सरकार कह रहे हो कि*
*हमारे मुँह से निकले वही सच्चाई है*
*हमारे मुँह मे आपकी जबान थोड़ी है*
परन्तु हमारे सूत्र बडे ही दावे से बताते है कि आज भी डिस्काम के अन्दर ईपीएफ के रजिस्टेशन के बगैर तमाम कार्यदायी संस्थाए विभागीय टेण्डर से लेकर अपना भुगतान कराने मे सफल है और तो और लखनऊ में बैठे एक निदेशक ने तो ब्लैक लिस्ट कम्पनी को ही मानव संसाधन काम दे दिया है जिसमे लखनऊ में लेसा सेस व ट्रास गोमती दो ही टाॅप पर और पूर्वांचल मे जानपद पूरी तरह टॉप पर है जिसके आने वाले दिनो मे और भी गम्भीर नतीजे दिखने की उम्मीद है उधर UPPCL का शीर्ष प्रबन्धन पूर्वांचल डिस्काम पर नाजायज तरीके से दबाव बना रहा है सूत्रो की खबर है कि पूर्वांचल डिस्काम मे हुई विगत दिनों की समीक्षा बैठक मे एक तरफ जहाँ प्रबन्धन के विरुद्ध अभियंताओ और कर्मचारियो ने हुँकार भरी वही विभागीय ठेकेदारों द्वारा भी शीर्ष प्रबन्धन से सीधी शिकायत कही गई । यह पर हो रही लगातार तरह-तरह की कार्यवाही उसी का बदला तो नही है वैसे भी बडका बाबू जी ने दक्षिणाचल मे अपनी कृपा पात्र सौम्य अग्रवाल जी को प्रबंध निदेशक के रूप मे सात समंदर पार से नियुक्त करा दिया जिनको पहले ही माननीय उच्च न्यायालय का नोटिस है तो फिर 32 घण्टे और 40 घण्टे विद्युत आपूर्ति बाधित रहने व एक और गोपनीय शिकायत की वजह से एक निदेशक को तो लम्म्म्म्म्म्म्म्म्मममममबी छुट्टी पर भेज देना कौन सी बडी बात है वैसे तो सूत्र बताते हैं कि अब तो फाइनेंस सम्बन्धी सारे काम सातवें तल वाली विधि विशेषज्ञ या MBA बडका बाबूजी के इशारे पर ही होते हैं अब तो देखना यह है कि आने वाले समय मे अभियन्ताओ और कर्मचारीयो को तनख्वाह कहाँ से दी जायेगी और न्यायपालिका मे डिस्काम की तरफ से क्या जवाब दिया जाता है और कहाँ से निजी विद्युत उत्पादन गृहों को पैसा दिया जाता है वैसे भुगतान ना होने पर निजी और सरकारी दोनो ही बिजली बन्द हो जायेगी । वैसे तो एक निदेशक पहले से ही अधर मे लटक कर त्रिशंकु बने हैं और अब यह देखना यह है कि कौन सा निदेशक इस बार बलि वेदी पर चढाया जाता है । *खैर*
*युद्ध अभी शेष है