लखनऊ बुधवार. 04. सितंबर.2019,* आजम खां दलितों के खलनायक हैं। वह हमेशा दलित विरोधी कार्यों में शामिल रहे हैं। जौहर विश्वविद्यालय बनवाने में उन्होंने बाल्मीकि समाज के लोगों की जमीनों को बुलडोजर चलाकर हड़प लिया था, जबकि दलितों की जमीनों को खरीदने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति ली जाती है। इसके बिना ही गलत तरीके से इन जमीनों को हड़पकर जौहर विश्वविद्यालय बनवाया गया। ये बातें अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने मीराबाई गेस्ट हाउस में प्रेस वार्ता के दौरान कही है।
जौहर विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय के अंदर लगभग 41.788 हेक्टेयर भूमि किसानो से क्रय की गई जिसमें अनुसूचित जाति भूमि धरी के पट्टों को भी क्रय लिया गया जिसकी कोई अनुमति नहीं ली गई अधिनियम 157 के मुताबिक अनुसूचित जाति के व्यक्ति की भूमि यदि अन्य व्यक्ति द्वारा क्रय की जाती है तो पूर्व अनुमति आवश्यक है और अगर अनुमति नहीं ली जाती है तो भूमि समस्त भारों से मुक्त होकर राज्य सरकार में निहित होता हो जाएगी I डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने यह भी कहा कि आजम खां को समाजवादी पार्टी क्यों बचा रही है, यह समझ से परे है। जिस नेता ने संविधान निर्माता को भू माफिया कहकर पूरे देश में दलितों की भावनाओं को आहत करने का काम किया। उस नेता को समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय नेता बता रही है। आखिर संविधान निर्माता को भू माफिया बताने वाला नेता सपा का राष्ट्रीय नेता कैसे हो सकता है। सवाल ये भी है कि ऐसे बदमिजाज नेता तो सपा देश का नेता कैसे बता सकती है। आजम खां के दबाव में ही अखिलेश यादव की सरकार में नई राजस्व संहिता के माध्यम से ग्राम समाज के पट्टे की आवंटन में दलितों को मिलने वाली प्राथमिकता समाप्त करवा दी थी तथा आजम के ही दबाव में अनुसूचित जाति आयोग और अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम में अध्यक्ष के पद पर गैर दलितों की तैनाती की गई।
समाजवादी पार्टी का यह भी कहना है कि आजम खां ने भीख मांगकर जौहर अली विश्वविद्यालय बनवाया, तो वह बताएं कि आजम ने भीख किससे मांगी और उन्हें भीख किसने दी। समाजवादी पार्टी को आजम का बचाव करने के लिए भीख देने वालों के साक्ष्य भी देने चाहिए। समाजवादी पार्टी उस नेता का बचाव कर रही है, जो दलितों के भगवान आंबेडकर को अपमानित करता रहा है। ऐसे नेता को देश की जनता से अपने कारनामों के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने पूरे देश की दलितों का अपमान किया है। आजम खां के कृत्य के लिए सपा को भी दलितों से मांफी मांगनी चाहिए।
• आजम खां ने ही मान्यवर श्री कांशीराम जी उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी, लखनऊ का नाम बदल कर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी करवा दिया था समाजवादी पार्टी की सरकार में दलितों के खिलाफ इस तरह के कई फैसले करवाने का काम आजम खां ने ही किया।