नई दिल्ली: लगभग एक हफ्ते का समय बीत जाने के बाद विक्रम से फिर सें संपर्क स्थापित करने की उम्मीदें अब धीरे-धीरे धुंधली पड़ती जा रही हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर (इसरो) चांद की सतह पर विक्रम से संपर्क करने की आखिरी कोशिश में लगा हुआ है। बता दें कि भारत के मिशन चंद्रयान-2 के दौरान चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग से ठीक पहले लैंडर विक्रम से मिशन कंट्रोल का संपर्क टूट गया था।दरअसल, विक्रम और उसके भीतर मौजूद रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर एक चंद्र दिवस (धरती के 14 दिन के बराबर) का वक्त गुजारना था। ऐसे में इसरो के पास अब थोड़ा ही वक्त बचा है।इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया, जैसे-जैसे वक्त गुजरता जा रहा है, विक्रम से संपर्क करना जटिल होता जा रहा है। उसकी बैटरी खत्म हो रही है। वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि अगर बैटरी खत्म हो गई तो विक्रम में जान फूंकने के लिए उसे बिजली देने वाला कोई नहीं होगा। हर गुजरते मिनट के साथ हालात बदतर ही होते जा रहे हैं। एक वैज्ञानिक ने बताया कि विक्रम दूर और दूर होता दिख रहा है।इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क की एक टीम विक्रम से संपर्क की कोशिश में दिन-रात लगी हुई है। बीते सात सितंबर को ेविक्रम को सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, मगर चांद की सतह से ठीक 2.1 किमी पहले ही विक्रम का संपर्क इसरो से टूट गया था।हालांकि, बाद में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने हार्ड लैंडिंग के बाद सतह पर पडे़ विक्रम को खोज निकाला था, जिसके बाद वैज्ञानिकों में फिर उम्मीद जगी थी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी विक्रम से संपर्क करने की कोशिशों में जुटा है।इसरो के वैज्ञानिक ने बताया कि विक्रम की स्थिति फिलहाल जस की तस है। यह अब भी बिजली पैदा कर सकता है। यह अपनी बैटरियों को सौर पैनलों से रिचार्ज कर सकता है। हालांकि, इसमें किसी तरह की प्रगति की उम्मीद अब धुंधली हो चली है।इसरो के एक और वैज्ञानिक ने बताया, चांद की सतह पर विक्रम की हार्ड लैंडिंग ने उससे संपर्क करने के प्रयास को बेहद दुरूह बना दिया है। यह सही दिशा में नहीं है, जिससे विक्रम इसरो द्वारा भेजे जा रहे रेडियो संकेतों को ग्रहण नहीं कर पा रहा है। सतह पर झटके से उतरने के चलते हो सकता है कि विक्रम को खासा नुकसान पहुंचा हो।