लंदन के नेटवेस्ट बैंक में जमा 3.1 अरब रुपये के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच कई दशक से टकराव की स्थिति है. लेकिन अगले महीने यानी अक्टूबर में ब्रिटेन का हाई कोर्ट इन रुपयों के वारिस के बारे में फैसला दे सकता है. असल में यह रुपया हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान सिद्दिकी से जुड़ा हुआ है.
बात तब की है जब 1948 में 'ऑपरेशन पोलो' के तहत हैदराबाद का भारत में विलय किया गया था. इसी वक्त निजाम के वित्त मंत्री नवाब मोईन नवाज जंग ने करीब 10 लाख पाउंड (करीब 9 करोड़ रुपये) ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त हबीब इब्राहिम रहीमतुल्ला के खाते में भेज दिए. ये पैसे अब 35 गुना बढ़कर 3.1 अरब रुपये हो चुके हैं. (फोटो- हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान सिद्दिकी, Getty)
जब निजाम को इन रुपयों के बारे में पता चला तो उन्होंने इसे वापस देने की मांग की, लेकिन पाकिस्तान ने इससे इनकार कर दिया. ये मामला ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय (हाऊस ऑफ लार्ड्स) में जा चुका है. कोर्ट ने अकाउंट को फ्रीज कर दिया था. लेकिन दोबारा इस मामले को हाई कोर्ट में ले जाया गया, जहां जस्टिस मार्कस स्मिथ दोनों पक्षों की दलील सुन चुके हैं और अक्टूबर 2019 में फैसला दे सकते हैं.
निजाम के परिवार की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि ये पैसा 'ऑपरेशन पोलो' के दौरान सुरक्षित रखने के लिए भेजा गया था. लेकिन पाकिस्तान ने तर्क दिया कि हैदराबाद के भारत में विलय के दौरान पाकिस्तान ने निजाम की काफी मदद की थी, इसके बदले ये पैसे दिए गए थे.
बाद में पाकिस्तान ने ये भी तर्क दिया था कि उसने हैदराबाद को हथियारों की सप्लाई की थी. इसके बदले में ये रुपये उसे दिए गए थे. लेकिन इसको लेकर पाकिस्तान कोई सबूत नहीं दे सका था.