सामूहिक दुराचार के जिन तीन आरोपियों (शुभम सिंह, नरेश तिवारी व बृजेश यादव) के खिलाफ सीबीआई ने जांच पूरी की है उसकी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। यह मामला इस कांड में दर्ज सबसे पहली एफआईआर में नामजद आरोपियों से संबधित है। यह एफआईआर पीड़िता की मां ने 20 जून 2017 को दर्ज कराई थी। इन तीनों को पूर्व में गिरफ्तार किया गया था पर मौजूदा समय में यह तीनों जमानत पर बाहर हैं।
पीड़िता के अपहरण का मुकदमा दर्ज होने के अगले दिन उसे औरैया से रिहा कराया गया था जहां उसे बेच दिया गया था। तब भी पीड़िता ने यह बयान दिया था कि उसे अपहृत करने के बाद कानपुर के एक मकान में रखा गया था और वहां भी उसके साथ सामूहिक दुराचार किया गया। सीबीआई ने कानपुर के इस मकान को तलाश करने के बाद पिछले दिनों वहां छानबीन भी की। सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि जांच अधिकारियों ने यहां का वीडियो फुटेज भी तैयार किया था।
एम्स में पीड़िता का बयान दर्ज करने के दौरान सीबीआई ने उसे इस मकान के बारे में जानकारी दी तो पीड़िता ने इसकी तस्दीक की कि जिस मकान को सीबीआई ने तलाशा है वहीं उसे अपहृत करने के बाद बंधक बनाकर दुराचार किया गया था। पीड़िता के इस बयान के बाद अब सीबीआई ने उसकेसाथ कानपुर के मकान में दुराचार के आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी कर ली है।इससे पहले सीबीआई विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसकी महिला साथी शशि के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 363, 366, 3776 व 506 के तहत आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट पांच आरोपियों (अतुल, विनीत, बउवा, सोनू शशि उर्फ सुमन) के खिलाफ आईपीसी की धारा 34, 147, 148, 149, 323, 504, 506 व 302 के तहत दाखिल की थी।
तीसरी चार्जशीट विधायक सेंगर व नौ अन्य के खिलाफ दर्ज की गई थी। इसमें सेंगर के भाई अतुल, तीन पुलिस कर्मी व अन्य के नाम शामिल थे। यह चार्जशीट पीड़िता के मामले की पैरवी कर रहे उसके पिता के खिलाफ षड्यंत्र रच कर उसे अवैध शस्त्र के आरोप में फर्जी फंसाने के मामले में दाखिल हुई थी।