नई दिल्ली केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल के कार्यभार संभालते ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने डॉ कस्तूरीरंगन की अगुवाई में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक ड्राफ्ट सौंपा है। इस ड्राफ्ट में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन और निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर रोक लगाने जैसी कई सिफारिशें शामिल हैं। ड्राफ्ट के तहत प्राइवेट स्कूलों को अपना फीस ढांचा तय करने की स्वतंत्रता हो, लेकिन मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की मनाही होनी चाहिए। स्कूल डेवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के नाम पर इसमें बढ़ोतरी जायज नहीं ठहराई जा सकती। उचित स्थिति में फीस बढ़ोतरी स्वीकार्य है।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि सेमेस्टर सिस्टम की तर्ज पर बोर्ड परीक्षाएं भी साल में दो बार आयोजित होनी चाहिए। इसके अलावा ड्राफ्ट में कहा गया कि छात्रों को बोर्ड परीक्षा में विषयों को दोहराने की अनुमति देने के लिए एक नीति बनाने को कहा गया है। इसके तहत छात्र को जिस सेमेस्टर में लगता है कि वह परीक्षा देने के लिए तैयार है, उस समय उसकी परीक्षा ली जानी चाहिए। बाद में अगर उसे लगता है कि वह और बेहतर कर सकता है तो उसे परीक्षा देने का एक और विकल्प देना चाहिए। साथ ही कंप्यूटर व तकनीक के जमाने में कंप्यूटर आधारित परीक्षा और पाठ्यक्रम कौशल विकास पर आधारित हो।
इसके साथ ही कहा गया कि गणित, एस्ट्रोनॉमी, फिलॉसफी, मनोविज्ञान, योग, आर्किटेक्चर, औषधि के साथ ही शासन, शासन विधि, समाज में भारत के योगदान को शामिल किया जाए। नर्सरी से पांचवीं कक्षा तक बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई कराने और 1 से 18 वर्ष आयु तक के बच्चों को मुफ्त गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने को कहा है। शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे को और अधिक व्यापक बनाने का भी सुझाव दिया गया है। शिक्षाविदों का मानना है कि इसे केवल आठवीं कक्षा तक ही नहीं बल्कि 12वीं तक की कक्षाओं को भी शामिल किया