नई दिल्ली- विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर पिछले पांच सालों में आरोप लगाता रहा है कि भाजपा सरकार में बेरोजगारी चरम सीमा पर पहुंच गई है। जिनके पास नौकरियां थी वह भी बेरोजगार हो गए। रोजगार के लिए लोग दर-दर भटक रहे हैं। लगातार लग रहे आरोपों को लेकर पीएमओ ने सख्त कदम उठाया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने सरकारी कर्मचारियों को विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में खाली पड़े पदों का डेटा इकट्ठा करने के काम पर लगा दिया है। पीएमओ ने यह कदम विपक्ष के उन आरोपों के बाद उठाया है जिसमें कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की सरकार नए रोजगार के मौकों का सृजन करने में तो असफल रही ही है, साथ ही वर्तमान में खाली पड़े सरकारी पदों पर भी नियुक्ति नहीं की जा रही हैं।
इसी बीच सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा जिन्होंने एनएसएसओ जॉब डाटा को लेकर सरकार का बचाव किया था उन्होंने गुरुवार को कहा, 'प्रधानमंत्री चुनाव में व्यस्त हैं। मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई कोशिश हो रही है। मेरे मंत्रालय में करीब 6,000 कर्मचारी हैं। मैंने ऐसा कोई सर्कुलर नहीं देखा है।' केंद्र सरकार कर्मचारी संघ केकेएन कुट्टी ने कहा, 'पिछले पांच सालों के दौरान इस सरकार ने हमसे कोई संचार नहीं किया है।
इस सरकार के अतंर्गत पहली राष्ट्रीय परिषद की बैठक 13 अप्रैल को तब हुई जब चुनावों की घोषणा हो गई। वह उस एजेंडा पर बातचीत करना चाहते हैं जो हमने उनके सत्ता में आने के समय पर भेजा था।' रिक्तियों के संबंध में उन्होंने कहा कि दो परेशानियां हैं। पहला कर्मचारी चयन आयोग को रिक्तियों की संख्या के बारे में विवरण नहीं देने के लिए एक ठोस प्रयास हो रहे हैं। दूसरा एसएससी इस स्थिति में नहीं है कि वह आवश्यक संख्या में लोगों की भर्तियां कर सके। कुट्टी ने कहा, 'औसतन ज्यादातर विभागों में 40 से 45 फीसदी तक रिक्तियां हैं। आईटी में 50, कैग में 45 प्रतिशत पद खाली हैं। प्रायोजित पद तो हैं लेकिन कोई भर्ती नहीं हो रही है। इस तरह की रिपोर्ट्स का कोई मतलब नहीं है।'