जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में रजिस्टर्ड छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए एक खास सुविधा की शुरुआत की गई है. दरअसल, जीएसटीएन ने 1.5 करोड़ रुपये सालाना तक का कारोबार करने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को मुफ्त में लेखा-जोखा और बिल बनाने के सॉफ्टवेयर की पेशकश की है.
जीएसटीएन ने एक बयान में कहा कि यह सॉफ्टवेयर कंपनियों को बिल और उनके लेखा खातों का ब्योरा तैयार करने, भंडार के माल का प्रबंधन और जीएसटी रिटर्न तैयार करने में मदद करेगा. बयान के मुताबिक, ''जीएसटीएन ने एक वित्त वर्ष में 1.5 करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाले एमएसएमई को साफ्टवेयर उपलब्ध कराने के लिये बिल और एकाउंटिंग साफ्टवेयर विक्रेताओं के साथ गठजोड़ किया है. इसके लिए इन टैक्सपेयर्स को कोई शुल्क नहीं देना होगा.''
जीएसटीएन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रकाश कुमार ने कहा कि इस पहल से एमएसएमई डिजिटल प्रणाली की ओर आगे बढ़ेंगे. इससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी और अनुपालन बोझ कम करने में मदद मिलेगी. यह सॉफ्टवेयर पोर्टल www.gst.gov.in पर दिए गए डाउनलोड विकल्प पर क्लिक कर प्राप्त किया जा सकता है. बयान के मुताबिक करीब 80 लाख एमएसएमई ऐसे हैं जिसका कारोबार 1.5 करोड़ रुपये से कम है. ऐसे में इन लोगों को फायदा पहुंचेगा.
इस बीच, जीएसटी परिषद ने कंपनियों के बीच होने वाले कारोबार के लिये ई-बिल निकालने में कारोबारी सीमा और उसके सृजन के तौर-तरीकों जैसी पहलुओं पर गौर करने के लिये दो उप-समूह का गठन किया है. एक उप-समूह ई-इनवॉयस के लिए व्यापार प्रक्रिया, नीति एवं कानूनी पहलुओं का परीक्षण करेगा वहीं दूसरा इसके क्रियान्वयन को लेकर तकनीकी पहलुओं के बारे में अपनी सिफारिशें देगा.
नीति मुद्दों पर उप-समूह कंपनियों के बीच (बी 2 बी) आपूर्ति के मामले में फर्जी बिलों पर लगाम लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने को लेकर भी सुझाव देगा. राजस्व विभाग मुख्य रूप से जीएसटी के तहत चोरी रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक या ई-बिल अथवा ई-चालान पर जोर देता रहा है.