" alt="" />
लखनऊ 7 मई। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव से लगभग 6 माह पूर्व निर्वाचक नामावलियां सही कराने में करोडों रूपये का खर्च करने के बावजूद वोटर लिस्ट ठीक नहीं होती है और चुनाव के दिन लगभग 25 प्रतिशत मतदाता वोटर लिस्ट में नाम न होने की शिकायत करते नजर आते हैं। लगभग प्रत्येक पोलिंग स्टेशन पर ऐसे मतदाताओं की संख्या सैकडों में होती है जो मतदान करना चाहते हैं परन्तु लिस्ट में नाम नहीं होता है।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि अक्सर ऐसा देखने में आया है कि मतदाता ने फार्म 6 भरा परन्तु उसका नाम वोटर लिस्ट से गायब है। जिला निर्वाचन अधिकारियों के द्वारा बीएलओ0 की नियुक्तियां की जाती है और उन पर लाखों रूपया खर्च किया जाता है। परन्तु परिणाम प्रत्येक चुनाव में ढाक के तीन पात होता है। ऐसी स्थिति में मतदान प्रतिषत बढने की सम्भावना झीण रहती है जबकि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा करोडों रूपया पहले मतदान फिर जलपान जैसे विज्ञापनों पर खर्च होता है। ध्यान देने की बात है कि यह धन भी देश की गरीब जनता की खून पसीने की कमाई ही होती है जिसकी बर्बादी की जाती है और किसी भी अधिकारी की कोई जवाबदेही निर्धारित नहीं होती है। जिस प्रकार से आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज होते हैं परन्तु शायद ही किसी प्रत्याषी की प्रत्याषिता निरस्त होती हो ठीक उसी प्रकार किसी भी जनपद में मतदाता सूची की लाखों गडबडियां होंने पर भी जिला निर्वाचन अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं होती है। रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि लोकतंत्र की परिभाषा तभी सार्थक होगी जब प्रत्येक जिले के प्रत्येक मतदाता को मत देने का समान अवसर मिले और ऐसा तभी सम्भव है जब मतदाता सूची शत प्रतिषत सही बने अन्यथा भारत निर्वाचन आयोग के लिए भी कहा जायेगा कि उसके द्वारा लोकतंत्र की धज्जियां उडायी जा रही हैं जबकि ऐे आरोप अक्सर सरकारों पर लगते हैं परन्तु देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था पर भी ऐसा आरोप लगता है।