भाजपा के इस एतिहासिक जीत पर विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है जब GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लागू करने वाली सरकार को दूसरी बार सत्ता मिली है। दरअसल यहां 'मोदी है तो मुमकिन है' पूरी तरह से चरितार्थ हुआ है।
मलेशिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में जीसटी लॉन्च करने वाली सरकारों को सत्ता गंवानी पड़ी थी आपको जानकर हैरानी जरूर होगी की जब -जब जिस देश में GST लागू हुआ है, वहां की वर्तमान सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आयी है। दुनिया के दूसरे देशों की बात की जाये तो मलेशिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में जीएसटी लॉन्च करने वाली सरकारों को सत्ता गंवानी पड़ी थी। इन देशों में जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुएं और सेवाएं काफी महंगी हो गई थीं, इसलिए लोगों में गुस्सा था।
हालांकि ऐसा गुस्सा भारत में भी देखने को मिला था, लेकिन मोदी ने समय रहते लोगों को मोदी सरकार ने या यूं कहे देश के कारोबारियों की मांग के अनुसार जो जीएसटी काउंसिल ने समय- समय पर बदलाव किये शायद उसका नतीजा रहा की देश के कारोबार जगत ने जीएसटी को स्वीकार कर मोदी को सत्ता की चाभी सौंप दी।
जीएसटी कंसल्टेंट का मानना है कि अन्य देशों में जीएसटी लागू करने वाली सरकारों ने वादा किया था कि नए कानून से होने वाली दिक्कतें एक साल में दूर कर दी जाएंगी, लेकिन वहां जीएसटी लागू होने और चुनाव होने के बीच एक साल का समय नहीं था। जबकि भारत में दो साल का फर्क रहा। शायद इसका पूरा फायदा मोदी सरकार ने उठाया।
अब भी जारी है सुधार की प्रक्रिया
मोदी सरकार ने एक जुलाई, 2017 को देश में जीएसटी लागू किया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे गब्बर सिंह टैक्स बताया था। जीएसटी लागू हुआ तब 226 वस्तुएं- सेवाएं 28 फीसदी टैक्स के दायरे में थीं, अब सिर्फ 28 बची हैं।
जीएसटी में सुधार की प्रक्रिया अब भी जारी है। जीएसटी लागू होने से अब तक सरकार को 4 बार एक लाख करोड़ रुपये या इससे ज्यादा का जीएसटी कलेक्शन मिला है। बीते वित्तीय साल में मासिक औसत कलेक्शन 98,114 करोड़ रुपये रहा।