मोदी सरकार के मंत्री जयंत सिन्हा ने माना है कि उन्होंने और बीजेपी के कुछ दूसरे नेताओं ने रामगढ़ लिंचिंग केस के आरोपियों की मदद की थी। सिन्हा ने इसके लिए उन आरोपियों के गरीब होने का तर्क दिया है। जयंत सिन्हा ने कहा कि वे (आरोपी) गरीब परिवार से आते थे, उनके परिजनों ने हमसे गुहार लगाई कि हम उनकी कुछ वित्तीय मदद करें ताकि वे ढंग का वकील कर सकें। केंद्रीय मंत्री ने माना कि उन्होंने और बीजेपी के दूसरे नेताओं ने वकीलों की फीस देने में उनकी मदद की।
गौरतलब है कि हजारीबाग में 6 मई को लोकसभा चुनाव है। इससे पहले बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे लिंचिंग की कड़ी निंदा करते हैं और किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं है। सिन्हा ने ये भी कहा कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, "लिंचिंग को हम बिल्कुल स्वीकार नहीं करते। ये गैरकानूनी है और बिल्कुल गलत है। अगर कोई ऐसा करता है तो हमारी सरकार उसके खिलाफ बिल्कुल कार्रवाई करेगी।"
बता दें कि जून 2017 में झारखंड के रामगढ़ में कुछ लोगों ने अलीमुद्दीन नाम के शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था। इस घटना के आरोपियों को केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने जमानत पर छूटने के बाद अपने घर में माला पहनाकर सम्मानित किया था। इस घटना से जुड़ी तस्वीरें मीडिया में आने के बाद जबर्दस्त हंगामा मचा था और जयंत सिन्हा को सफाई देनी पड़ी थी। यहां तक कि जयंत सिन्हा के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वे नालायक बेटे के लायक पिता हैं।