मेरठ में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के सीओ संजीव देशवाल और जिला उद्धार अधिकारी ने झूठे शपथ पत्र दाखिल किए थे। कबाड़ी बाजार इलाके में 52 भवनों में करीब 75 से ज्यादा कोठे संचालित किए जा रहे हैं। इन कोठों पर देह व्यापार होने की बात कहते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की हुई थी।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दाखिल हलफनामे पर सख्त रुख अपनाकर 30 अप्रैल को रिपोर्ट दाखिल करने के साथ ही शासन को दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश जारी किए।
सुनील चौधरी ने अधिकारियों के बयान का विरोध करते हुए कहा कि मीडिया रिपोर्ट है कि रेड लाइट एरिया में बाहर से दरवाजों पर ताला लगा दिया गया है। लेकिन भीतर लड़कियां मौजूद हैं और कोठे बाकायदा संचालित किए जा रहे हैं।
हलफनामा में इसका जिक्र नहीं
अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि आरटीआई और आईजीआरएस के तहत बताया गया कि मेरठ सीएमओ कार्यालय से रेडलाइट एरिया में 20 हजार कंडोम वितरित किए हैं। छह देह व्यापार में लिप्त महिलाओं को एचआईवी पॉजीटिव और सात की मौत होना बताया।
इन सभी को पुलिस, प्रशासन व सीएमओ के हलफनामे में इसका जिक्र तक नहीं किया। अधिकारियों के हलफनामे में अधिवक्ता ने कई सवाल किए, उसका जवाब अधिकारी नहीं दे पाए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा कि उनके हलफनामे से असंतुष्ट हैं।
दिल्ली से लाकर बेचा जाता है
एएचटीयू के इंस्पेक्टर बृजेश कुमार कुमार का कहना है कि पुलिस पूर्व में लगातार कार्रवाई करती रही है। जांच पड़ताल में यही सामने आता था कि लड़कियों को अपहरण कर पहले दिल्ली में कोठों पर बेचा जाता है उसके बाद अलग अलग स्थानों पर भेजा जाता है। वहीं कोर्ट के सख्त रवैये के बाद मेरठ के कबाड़ी बाजार मामले में विभागों का आपसी समन्वय न होने और झूठे शपथ पत्रों के कारण पुलिस-प्रशासन की हाईकोर्ट में खासी किरकिरी हुई है।
कबाड़ी बाजार व्यापारिक इलाका है। यहां मिश्रित आबादी है। शपथ पत्र में साल 2009 से मेरठ में रेड लाइट एरिया चलाना बताया गया है। तब से यहां से कई संभ्रात परिवार पलायन करके जा चुके हैं। यहां पर लोगों को इसका दंश झेलना पड़ता है। कई व्यापारियों के कारोबार पर भी फर्क पड़ा है।