भारत सहित कई देशों के एयरपोर्ट में चेहरे की पहचान करने वाली टेक्नोलाॅजी अपनाई जा रही है। यह टेक्नोलॉजी अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से शुरू हुई थी, लेकिन बुधवार को इस पर वहीं पाबंदी लगा दी गई। पाबंदी इसलिए लगाई गई क्योंकि इसके जरिए चेहरों की गलत पहचान हो रही थी। साथ ही सामूहिक निगरानी के लिए इसका ज्यादा दुरुपयोग हो रहा था।
पुलिस और जांच एजेंसियां इस बात को लेकर परेशान थी कि इस तकनीक के कारण लोगों की निजी जानकारियां सार्वजनिक हो रही थीं। पुलिस और जांच एजेंसियों के खिलाफ रोजाना दो से तीन मुकदमे दर्ज हो रहे थे। पिछले महीने ही गलत पहचान के कारण ऑस्मेन बेह नाम के एक युवक ने चोरी के आरोप में फंसाने पर एपल कंपनी के खिलाफ 6,900 करोड़ रुपए का मुकदमा दर्ज करवाया