दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए स्टाफ सिलेक्शन कमिशन (एसएससी) के 2017 के एग्जाम के रिजल्ट पर लगी रोक हटा दी है। इस आदेश से हजारों छात्रों को फायदा होगा। बता दें कि एसएससी के एग्जाम में धांधली के बाद बड़े पैमाने पर छात्रों ने फिर से परीक्षा कराने की मांग को लेकर आंदोलन किया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिजल्ट जारी करने पर रोक लगा दी थी।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एसएससी पेपर लीक से जुड़े केस में चार लोगों को अरेस्ट किया था। आरोपियों की पहचान नीरज शर्मा, अनूप राव, कुशल नेगी और दूरज अली के रूप में हुई थी। पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि उसने कैंडिडेट से मोटी रकम लेने के बाद कंप्यूटर पर खास तरह के सॉफ्टवेयर को डाउनलोड किया था। इस सॉफ्टवेयर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कैंडिडेंट एग्जाम सेंटर पर सिर्फ सिस्टम खोलकर बैठ जाता है। वह ऑनलाइन क्वेश्चन के आंसर नहीं देता। उसकी जगह कोई दूसरा व्यक्ति वहां से कहीं दूर बैठकर उसी सिस्टम को अपने कंप्यूटर पर खोलकर पेपर सॉल्व कर रहा होता है।
एग्जाम सेंटर पर एग्जाम देने वाले की भूमिका डमी कैंडिडेट की तरह होती है। इतना ही नहीं, पूछताछ में इसका खुलासा भी हुआ कि जिनसे सेटिंग हो गई थी, उसने उन कैंडिडेट्स की सीट भी बदल दी थी। यह एग्जाम पास कराने की एवज में कैंडिडेट से 15 लाख रुपये वसूले जाते हैं।
पुलिस अफसरों ने बताया कि इस केस में बहुत जल्द कुछ और लोगों को अरेस्ट किया जाएगा, लेकिन यह पूरा मामला इतना ज्यादा टेक्निकल है कि पहले पूरे सिस्टम को समझा जा रहा है। इसके लिए ऐसी ही कंपनियों के इंजीनियरों की मदद ली जा रही है।
अदालत की ओर से गठित की गई कमिटी में इंफोसिस के पूर्व चीफ नंदन नीलकेणी और कंप्यूटर साइंटिस्ट विजय भटकर भी शामिल हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को परिणाम घोषित करने और भर्ती करने के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दे दी है, लेकिन कोई भी भर्ती मामले के अंतिम परिणाम के अधीन होगी