देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के बाद अब टाटा मोटर्स भी डीज़ल कारें बंद करने की तैयारी में हैं। - मानवी मीडिया

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Sunday, May 5, 2019

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के बाद अब टाटा मोटर्स भी डीज़ल कारें बंद करने की तैयारी में हैं।

 


देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के बाद अब टाटा मोटर्स भी डीज़ल कारें बंद करने की तैयारी में हैं। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ऊंची लागत के चलते छोटी गाड़ियों के लिए नए एमिशन नॉर्म्स के हिसाब से डीजल इंजन डिवेलप करना फायदेमंद नहीं होगा, क्योंकि उससे गाड़ियों के दाम बढ़ेंगे और उनकी डिमांड कम रहेगी।



आपको बता दें कि मारुति अप्रैल 2020 से डीजल गाड़ियों की बिक्री बंद करने के ऐलान कर चुकी है। हालांकि, देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी हुंडई मोटर इंडिया के अलावा टोयोटा मोटर और फोर्ड मोटर की लोकल यूनिट्स का कहना है कि नए एमिशन नॉर्म्स के पालन से खर्च में बढ़ोतरी होने के बावजूद वे इंडिया में डीजल इंजन वाली गाड़ियां बेचती रहेंगी।


प्रदूषण नियंत्रण संबंधीय नियामकीय बदलावों को देखते हुए वाहन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी टाटा मोटर्स संभवत: धीरे- धीरे अपने पोर्टफोलियो से छोटी डीजल कारें हटाएगी। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भारत चरण- छह उत्सर्जन मानक आने वाले हैं जिससे डीजल वाहन महंगे हो जाएंगे।


ये है डीजल कारों की कीमत


टाटा मोटर्स फिलहाल प्रवेश स्तर की हैचबैक टियागो एक लीटर डीजल इंजन के साथ बेचती है। इसके अलावा कंपनी सेडान कार टिगोर 1.05 लीटर के डीजल इंजन और पुराने मॉडल की बोल्ट और जेस्ट कारें 1.3 लीटर डीजल इंजन के साथ बेचती है।


इसलिए टाटा बंद करने जा रही कारें


टाटा मोटर्स के पैसेंजर बिज़नेस यूनिट के प्रेजिडेंट मयंक पारीक ने (पीटीआई) बताया कि BS-VI एमिशन नियम के लागू होने के बाद छोटी डीजल गाड़ियों के मामले में कंप्लायंस महंगा हो जाएगा।


मारुति कर चुकी हैं ऐलान


मारुति सुजुकी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कि BS-VI एमिशन नियम लागू होने के बाद डीजल गाड़ियों की बिक्री बंद करने का कदम उठाएगी, क्योंकि नए रेग्‍युलेशंस के हिसाब से डीजल इंजन को अपग्रेड करने में मोटी रकम खर्च होगी।



टाटा मोटर्स के अध्यक्ष यात्री वाहन कारोबार मयंक पारीक ने कहा कि छोटी और मध्यम आकार की डीजल इंजन वाली कारों की मांग धीमी होने की वजह से छोटी क्षमता के नए इंजन के विकास की लागत अपेक्षाकृत काफी ऊंची बैठेगी। उन्होंने कहा कि अंतत: इस बढ़ी लागत का बोझ अंतिम उपभोक्ता पर डालना पड़ेगा जिससे ऐसे वाहनों की मांग घटेगी



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