भारत मे क़ानूनी तरीके से इंसाफ हासिल करने का सबसे आसान तरीक़ा: - मानवी मीडिया

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Friday, May 10, 2019

भारत मे क़ानूनी तरीके से इंसाफ हासिल करने का सबसे आसान तरीक़ा:

 


➡ सबसे पहले सम्बन्धित थाने में अपराध की
F.I.R.दर्ज करवाएं
(1-2 दिन लग सकते हैं)


➡ अगर पुलिस F.I.R. दर्ज करने से इनकार करे तो
अपनी कम्पलेंट Registered post से
थाने को भेजें और F.I.R दर्ज करने की request करें
(2-3 दिन इसमे भी लग सकता है)


➡ अगर पुलिस फिर भी FIR दर्ज न करे तो
S.P./D.C.P. से- मुलाक़ात करके
अपनी FIR दर्ज करवाने की कोशिश करें
(2-3 दिन इसमे भी लग सकता है)


➡ फिर भी FIR दर्ज न हो तो किसी वकील साहब की मदद से
सम्बंधित कोर्ट में FIR दर्ज करवाने की कोशिश करें
(अपराधी और अपराध किसके ख़िलाफ़ किया गया है
इन सब "व्यवहारिक " बिंदुओं को देखते हुए
इसमें 3 महीने से लेकर 3 साल तक लग सकते हैं
तो मायूस न हों सब्र रखें)


➡ क्या हुआ ?
फिर भी FIR दर्ज नही हुई?
कोई बात नही आप हाईकोर्ट और उसके आगे
सुप्रीम कोर्ट तक जा सकते हैं
हां इसके लिए आपके पास
वकील साहिबान की फीस अदा करने के लिए
मोटी रक़म और कोर्ट में तारीख़ पर जाने के लिए
ख़ूब ख़ाली वक़्त होना चाहिये (3-5 साल तक लग सकते हैं)


➡ चलिए आपकी FIR रजिस्टर हो गयी ।
मुबारक हो आप ने पहली जंग जीत ली।
अब FIR की एक कॉपी निकालकर
उसे खूब अच्छे से पढ़ लीजिये
देखिये आपने जो बातें लिखवायीं थीं
वो तमाम बातें correct IPC sections, facts के साथ दर्ज हैं
अगर नहीं तो वकील साहब की मदद से
सम्बन्धित court को एफिडेविट के साथ
सूचित कीजिये ये आपके केस को मज़बूती प्रदान करेगा।


➡ हो सकता कि जब आप ये सब कर रहे हों तो पुलिस
आप और आपके परिवार के ख़िलाफ़
आरोपियों की तरफ़ से ही एक Cross FIR दर्ज कर दे
और उस पर कार्यवाही करते हुए
आप और आपके परिवार के सदस्यों को गिरफ़्तार करके
जेल में डाल दिया जाय।
इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें
और वकील साहब की मदद से तुंरत ये सब बातें
सम्बन्धित कोर्ट और यदि ज़रूरत पड़े तो
हाई कोर्ट और उसके आगे सुप्रीम कोर्ट से
अपने लिए राहत हासिल करने की कोशिश करें।


➡ मान लीजिए कि FIR दर्ज होने के बाद भी
पुलिस उसकी ईमानदारी से जांच नही कर रही।
या सरकारी वकील साहब ईमानदारी से
आपके केस की पैरवी नही कर रहे
या जज साहब biased हैं तो
इसकी जानकारी समय समय पर
जैसी ज़रूरत हो वकील साहब की मदद से
documentary evidence और affidavit के साथ
सम्बन्धित उच्च पुलिस अधिकारी/ lawyers forum/Higher कोर्ट
आदि को देते रहें
और समय रहते गैर जिम्मेदार
या biased investigating officer/वकील/जज को
एक्सपोज़ करके उसे बदलवाने अथवा
क़ानून के मुताबिक़ काम करने के लिए मजबूर करने की कोशिश करें।


मीडिया या नागरिक अधिकार संगठनों का सहयोग लें।
ये लिखना जितना आसान है उसका अमल उतना ही मुश्किल।
इससे आप के केस की बुनियाद मज़बूत होगी
और इंसाफ़ मिलने की सम्भावना बढ़ेगी।


➡ मान लीजिए कि पुलिस ने आरोपियों को
फाइनल रिपोर्ट लगाकर डिस्चार्ज करवा दिया
या चार्जशीट फ़ाइल भी की तो charges हल्के कर दिए ।
या charge framing सही sections में नही हुई।
Crucial witness को नज़रअंदाज़ किया जा रहा वगैरह वग़ैरह तो
अपने वकील की मदद से इसकी एक कॉपी निकालकर
गहराई से इसका अध्ययन करें


और पुलिस या कोर्ट के द्वारा जिन बिंदुओं को नज़रअंदाज़ किया गया है
उसे highlight करके सम्बन्धित Higher court में
अपील करवाने की कोशिश करें।


केस की जांच दूसरी किसी independent एजेंसी से
या केस किसी दूसरे स्टेट में ट्रांसफर करवाने की कोशिश करें।


कहने का मतलब ये है कि जिस वजह से आप को
इंसाफ मिलने में दिक्कत आ रही है
उस वजह पे क़ाबू पाने और हालात को
अपने लिए साज़गार बनाने की भरपूर कोशिश करें।


➡ lower कोर्ट से जजमेंट हासिल करने में
आपको 5-35 साल तक लग सकते हैं।
हो सकता है कि आप की लाख कोशिशों के बावजूद
अपराधी गिरफ्तार भी न हों।
या गिरफ़्तार होने के बाद उन्हें जमानत मिल जाये
और वो आपको और आपके परिवार को नुकसान पहुंचाए।
इसके लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहे।


ये भी हो सकता है कि Local police,C I D,CBI ,NIA
आदि की जांच के बाद भी आरोपी छूट जाएं ।
मायूस न हों अभी हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट
जिसे "इंसाफ का मंदिर" भी कहते है का सफ़र अभी बाक़ी है।


➡ जांच एजेंसी या गवर्नमेन्ट से request करके
फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में
अपील करवाने की कोशिश करें
अगर हो गयी तो ठीक नही तो
किसी क़ाबिल वकील की मदद से राय लें
और आगे बढ़ें। (हिम्मते मर्दा मददे ख़ुदा)


➡ हाई कोर्ट से जजमेंट लेने में 5-10 साल तक लग सकते हैं।
मान लें हाई कोर्ट से भी आपको इंसाफ नही मिला ।
कोई बात नहीं


➡ अगर जांच एजेंसी और गवर्नमेंट तैयार हो तो
सुप्रीम कोर्ट में जजमेंट के खिलाफ अपील करवाने की कोशिश करें।
अगर हो गयी तो ठीक और अगर नही हुई तो
किसी क़ाबिल वकील की राय लें
और आगे बढ़ें (हिम्मते मर्दा मददे ख़ुदा)


सुप्रीम कोर्ट से जजमेंट लेने में भी 5-10 साल तक लग सकते हैं।
इसलिए धैर्य बनाये रखें।


➡ इंसाफ मिला?
वाक़ई आप बहुत बहादुर हैं।
देश की न्यायिक व्यवस्था पे गर्व कीजिये
क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट से भी इंसाफ नही मिला?
कोई बात नही review petition फ़ाइल
करवाने की कोशिश कीजिये और
सुप्रीम कोर्ट से कहिये की वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।


➡ सबसे ज़रूरी बात
lower कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक
आप हमेशा हर तारीख पे
कोर्ट के अंदर मौजूद रहने की कोशिश करें
नही तो कभी भी आपके केस का कुछ भी हो सकता है।
कोर्ट की कार्यवाही पर गहराई से नज़र रखें।


➡ क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने विचार नही किया?
आपको 15-50 वर्षों की
क़ानूनी जद्दोजिह्द के बाद भी इंसाफ नहीं मिला?
कोई बात नहीं सब्र कीजिये
इस दुनिया के बाद भी एक अदालत है
वहां आपको इंसाफ ज़रूर मिलेगा..................


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