वाराणसी। धर्म आस्था का विषय होता है। मगर बनारस गंगा जमुनी तहजीब का एक मरकज़ है। यह बात बनारस में कई बार पहले भी साबित हो चुकी है। यहाँ हिन्दू मुसलमान ऐसे मिल कर रहते है कि मालूम ही नहीं चलता कि मज़हब दोनों के अलग है।
इसी गंगा जमुनी तहजीब की एक मिसाल देखने को आज वाराणसी में मिली जब नीरज ने अपने दोस्तों को रोज़ा रखते हुवे देखा तो उसको भी शौक हुआ कि एक रोज़ा रखकर देखा जाए। इसके लिए नीरज ने पहले से तैयारी भी किया। सही वक्त पर सहरी किया और फिर रोज़ा रख लिया। दोपहर तक भूख तो नही मगर प्यास इस गर्मी की शिद्दत में सताने लगी। सभी दोस्तों ने उसको सलाह दिया कि रोज़ा तोड़ ले। मगर अपनी जिद पर कायम नीरज ने रोज़ा नहीं तोडा और इफ्तार के समय सभी दोस्तों के साथ रोज़ा इफ्तार किया। इसके बाद हमसे बात करते हुवे नीरज ने कहा कि वाकई काफी मुश्किल होता है रोज़ा रखना। \
इस मौके पर नीरज के साथ रोज़ा इफ्तार में उसके दोस्त कामरान, बाबू, अनूप सोनी आदि युवक शामिल थे।