देश में भले ही 2019 के चुनाव में नमो की सुनामी रही लेकिन जिले की 69-आजमगढ़ सदर संसदीय सीट गठबंधन के बल पर सपा ने जीत ली। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी और भोजपुरी सिनेस्टार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' को दो 59 हजार 874 वोट से हराया। अखिलेश को छह लाख 21 हजार 578 मिले वोट मिले जबकि दिनेश लाल निरहुआ को महज तीन लाख 61 हजार 704 मत हासिल हुए। अखिलेश की यह जीत बड़ी जीत इसलिए भी रही कि क्योंकि 2014 में मुलायम सिंह यादव इस सीट पर महज 63 हजार 204 वोट से ही विजय प्राप्त कर सके थे। हालांकि उस दौरान बसपा से गठबंधन नहीं था।
मुलायम सिंह यादव को 3,40,306 वोट मिले थे। भाजपा के रमाकांत यादव को 2,77,102 वाेट मिले थे तो वहीं बसपा प्रत्याशी शाहआलम उर्फ गुड्डू जमाली को 2,66,528 वोट प्राप्त हुए थे। इस तरह देखा जाए ताे सपा प्रत्याशी अखिलेश यादव को 2014 में सपा बसपा को जितने वोट मिले थे उससे अधिक वोट प्राप्त हुए। दूसरी तरफ देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी भी वोट के मामले में पीछे नहीं रहे। यह भी तय है कि अगर इस सीट पर सपा व बसपा अलग अलग लड़ी होती तो कुछ कहानी भी अलग होती। फिलहाल सपा की यह जीत बड़ी जीत रही। जीत के पीछे भले ही जातीय समीकरण को जोड़कर देखा जाए लेकिन सपा ने यहां चुनाव विकास के मुद्दे को दिखाकर लड़ा। भाजपा इस मामले में जनता को साध नहीं सकी।
चुनाव के दौरान सिर्फ दो बार आए अखिलेश
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव के दौरान आजमगढ़ में सिर्फ दो बार आए। पहली बार नामांकन करने आए थे। उसके बाद सपा बसपा की संयुक्त रैली में आए। वह भी दूसरी बार आजमगढ़ के लालगंज संसदीय क्षेत्र में आए थे। इसके अलावा न यहां कोई रोड शो किया न ही किसी के पास वोट मांगने के लिए गए। यह जरूर रहा कि सपा के कार्यकर्ता उनके पक्ष में कैंपेनिंग शुरू से अंत तक करते रहे।