नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा, कांग्रेस के दावों को ध्वस्त करते हुए केंद्र पर काबिज हुई थी। यूपीए-2 सरकार से असंतुष्ट देश की जनता ने लंबे अंतराल के बाद भाजपा पर भरोसा जताया और देश में एनडीए सरकार बनी। भाजपा को स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ था और 1984 के बाद यह पहला मौका था, जब तीन दशक के लंबे अंतराल पर देश में बहुमत की सरकार बनी।
देश में 16वीं लोकसभा के लिए सात अप्रैल से मतदान शुरू हुए और नौंवें चरण में 12 मई को मतदान संपन्न हुआ। कुल 66.38 फीसदी वोट पड़े थे और 16 मई को चुनाव के नतीजे आए। 282 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई।
सहयोगी दलों को मिलाते हुए एनडीए का आंकड़ा 336 तक जा पहुंचा था, वहीं पिछले एक दशक से सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट गई थी, जबकि सहयोगी दलों के साथ यूपीए की सीटों का आंकड़ा महज 59 तक ही पहुंच सका। हालत ऐसी हो गई थी कि सदन में विपक्ष की हैसियत से बैठने को कोई पार्टी नहीं रह गई थी। मालूम हो कि विपक्षी दल बनने के लिए, किसी पार्टी को लोकसभा में 10 प्रतिशत यानि कम से कम 54 सीटें हासिल करनी होती हैं।
इस बार भी 'मोदी' के चेहरे पर 2014 दोहराने की कोशिश
उत्तर प्रदेश के बाद भाजपा की नजर 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल पर है, जहां वह ज्यादा से ज्यादा कमल खिलाना चाहती है। छह चरणों में बंगाल में हिंसा के बावजूद बंपर वोटिंग हुई है और भाजपा को उम्मीद है कि इस बार बड़ी आबादी उसके पक्ष में है। 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ गठबंधन कर भाजपा थोड़ी निश्चिंत है।
राजनीतिज्ञ भी मानते हैं कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य साध लेने वाला दल पूरे देश को साध लेगा। इन चारों राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भाजपा के लिए जादुई आंकड़ा छूना काफी आसान हो जाएगा।