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Thursday, May 16, 2019

16 मई, तारीख यही थी, साल था 2014। पांच साल पहले आज ही के दिन भाजपा ने इतिहास रच दिया था

16 मई, तारीख यही थी, साल था 2014। पांच साल पहले आज ही के दिन भाजपा ने इतिहास रच दिया था। एक ऐसा इतिहास, जिसे भविष्य में शायद ही भुलाया जा सके। गुजरात से उठी 'मोदी' नाम की लहर एकाएक देश भर में फैलती चली गई और 2014 आम चुनाव के बाद जब 16 मई को नतीजे आए, तो कांग्रेस समेत एनडीए के सभी विरोधी दलों की नींद उड़ गई।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा, कांग्रेस के दावों को ध्वस्त करते हुए केंद्र पर काबिज हुई थी। यूपीए-2 सरकार से असंतुष्ट देश की जनता ने लंबे अंतराल के बाद भाजपा पर भरोसा जताया और देश में एनडीए सरकार बनी। भाजपा को स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ था और 1984 के बाद यह पहला मौका था, जब तीन दशक के लंबे अंतराल पर देश में बहुमत की सरकार बनी। 


देश में 16वीं लोकसभा के लिए सात अप्रैल से मतदान शुरू हुए और नौंवें चरण में 12 मई को मतदान संपन्न हुआ। कुल 66.38 फीसदी वोट पड़े थे और 16 मई को चुनाव के नतीजे आए। 282 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई।


सहयोगी दलों को मिलाते हुए एनडीए का आंकड़ा 336 तक जा पहुंचा था, वहीं पिछले एक दशक से सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस महज 44 सीटों पर सिमट गई थी, जबकि सहयोगी दलों के साथ यूपीए की सीटों का आंकड़ा महज 59 तक ही पहुंच सका। हालत ऐसी हो गई थी कि सदन में विपक्ष की हैसियत से बैठने को कोई पार्टी नहीं रह गई थी। मालूम हो कि विपक्षी दल बनने के लिए, किसी पार्टी को लोकसभा में 10 प्रतिशत यानि कम से कम 54 सीटें हासिल करनी होती हैं।




इस बार भी 'मोदी' के चेहरे पर 2014 दोहराने की कोशिश



पूरे देश में देखा जाए तो सबसे ज्यादा (80) लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा सबसे मजबूत है। यहां साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां 71 सीटें और उसके सहयोगी अपना दल ने दो सीटें जीती थीं। भाजपा इस बार भी यहां 2014 की जीत दोहराने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 73 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।



2014 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में मोदी लहर थी लेकिन इस बार मोदी के साथ योगी भी हैं जिससे पार्टी सूबे में और मजबूत हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश और अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की तरफ खास ध्यान दे रहे हैं। वाराणसी के नाम पिछले दिनों दिए गए संदेश में उन्होंने खासकर युवा मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की। भाजपा को उम्मीद है कि युवा मतदाता 2014 की जीत को दोहराने में उसकी मदद करेंगे। 

उत्तर प्रदेश के बाद भाजपा की नजर 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल पर है, जहां वह ज्यादा से ज्यादा कमल खिलाना चाहती है। छह चरणों में बंगाल में हिंसा के बावजूद बंपर वोटिंग हुई है और भाजपा को उम्मीद है कि इस बार बड़ी आबादी उसके पक्ष में है। 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ गठबंधन कर भाजपा थोड़ी निश्चिंत है।


राजनीतिज्ञ भी मानते हैं कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य साध लेने वाला दल पूरे देश को साध लेगा। इन चारों राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भाजपा के लिए जादुई आंकड़ा छूना काफी आसान हो जाएगा। 





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