से तो एयर स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 50 प्रतिशत से बढ़कर 62 प्रतिशत हो गई है, लेकिन भाजपा कोई अवसर नहीं लेना चाहती। वह उन सांसदों का टिकट काटने पर विचार कर रही है, जिनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। पिछली बार मोदी लहर में बहुत से लोग संसद तो पहुंच गए, लेकिन उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया। 28 राज्यों में 12 में भाजपा की और छह में उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं। कुछ प्रदेशों में राज्य सरकारों के खिलाफ नाराजगी है, तो कुछ सीटों पर स्थानीय सांसदों के कामकाज से लोग नाखुश हैं। पार्टी ने संगठन, संघ और निजी सर्वे एजेंसियों के जरिये सभी 272 सांसदों के प्रदर्शन का आकलन कराया है। हर सीट पर वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, जिला अध्यक्ष, जिला संगठन मंत्री और राज्य संगठन मंत्री की राय ली गई है। वहीं निजी एजेंसियों से मौजूदा सांसद के प्रदर्शन और संभावित उम्मीदवारों के बारे में तीन से चार सर्वेक्षण कराए गए हैं। लगभग आधे सांसदों की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं बताई जा रही है। कुछ की सीट बदले जाने के संकेत पार्टी का इरादा कुछ सांसदों का चुनाव क्षेत्र बदलने का है, तो कुछ अन्य का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारने की योजना है। मसलन दिल्ली के सात में से तीन सांसदों का टिकट कटना निश्चित है। जबकि उत्तर प्रदेश की 68 मौजूदा सीटों में से 25 से 30 पर नए चेहरे उतारे जा सकते हैं। - मानवी मीडिया

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Thursday, March 14, 2019

से तो एयर स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 50 प्रतिशत से बढ़कर 62 प्रतिशत हो गई है, लेकिन भाजपा कोई अवसर नहीं लेना चाहती। वह उन सांसदों का टिकट काटने पर विचार कर रही है, जिनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। पिछली बार मोदी लहर में बहुत से लोग संसद तो पहुंच गए, लेकिन उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया। 28 राज्यों में 12 में भाजपा की और छह में उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं। कुछ प्रदेशों में राज्य सरकारों के खिलाफ नाराजगी है, तो कुछ सीटों पर स्थानीय सांसदों के कामकाज से लोग नाखुश हैं। पार्टी ने संगठन, संघ और निजी सर्वे एजेंसियों के जरिये सभी 272 सांसदों के प्रदर्शन का आकलन कराया है। हर सीट पर वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, जिला अध्यक्ष, जिला संगठन मंत्री और राज्य संगठन मंत्री की राय ली गई है। वहीं निजी एजेंसियों से मौजूदा सांसद के प्रदर्शन और संभावित उम्मीदवारों के बारे में तीन से चार सर्वेक्षण कराए गए हैं। लगभग आधे सांसदों की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं बताई जा रही है। कुछ की सीट बदले जाने के संकेत पार्टी का इरादा कुछ सांसदों का चुनाव क्षेत्र बदलने का है, तो कुछ अन्य का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारने की योजना है। मसलन दिल्ली के सात में से तीन सांसदों का टिकट कटना निश्चित है। जबकि उत्तर प्रदेश की 68 मौजूदा सीटों में से 25 से 30 पर नए चेहरे उतारे जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार और चुनाव आयोग (ईसी) पर शीर्ष अदालत के 25 सितंबर, 2018 को दिए आदेश की अवमानना का आरोप लगाया गया था। बता दें कि पिछले साल सितंबर में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से पहले आयोग के सामने अपना पूरा आपराधिक ब्योरा जमा कराने को कहा था। साथ ही आयोग को प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए उन उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का प्रचार करने के आदेश दिए गए थे। 


याचिकाकर्ता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने शीर्ष अदालत में इस निर्णय की अवमानना किए जाने का आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल की थी। मंगलवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस दीपक गुप्ता व जस्टिस संजीव खन्ना की मौजूदगी वाली पीठ ने इस याचिका पर 14 मार्च को उचित पीठ में सुनवाई किए जाने का आदेश जारी किया। साथ ही याचिका की एक प्रति चुनाव आयोग के सचिव को भेजकर उन्हें अगली सुनवाई पर अपना पक्ष उचित पीठ के सामने रखने के लिए पेश होने के आदेश की जानकारी दिए जाने को कहा। 

बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले साल 10 अक्तूबर को शीर्ष अदालत के आदेश पर फॉर्म-26 में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी थी और राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों को आपराधिक इतिहास के प्रकाशन के निर्देश दिए थे। लेकिन याचिकाकर्ता का आरोप है कि आयोग ने इलेक्शन सिंबल ऑर्डर-1968 और आदर्श आचार संहिता में इससे जुड़े संशोधन नहीं किए हैं, जिससे इस अधिसूचना का कोई कानूनी आधार नहीं है।


 


                           


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