आम चुनाव की घोषणा होने के साथ ही भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस बार पार्टी बड़ी संख्या में मौजूदा सांसदों के टिकट काटने जा रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का दावा है कि लगभग 40 प्रतिशत सीटों पर नए चेहरे उतारे जाने की संभावना है।
यह फैसला अगले दो-तीन दिनों में होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में लिया जाएगा। पहले चरण में 11 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए 91 उम्मीदवारों के नामों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। पार्टी हर उम्मीदवार को चुनाव प्रचार के लिए कम से कम एक महीने का समय देना चाहती है।
से तो एयर स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 50 प्रतिशत से बढ़कर 62 प्रतिशत हो गई है, लेकिन भाजपा कोई अवसर नहीं लेना चाहती। वह उन सांसदों का टिकट काटने पर विचार कर रही है, जिनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। पिछली बार मोदी लहर में बहुत से लोग संसद तो पहुंच गए, लेकिन उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया।
28 राज्यों में 12 में भाजपा की और छह में उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं। कुछ प्रदेशों में राज्य सरकारों के खिलाफ नाराजगी है, तो कुछ सीटों पर स्थानीय सांसदों के कामकाज से लोग नाखुश हैं।
पार्टी ने संगठन, संघ और निजी सर्वे एजेंसियों के जरिये सभी 272 सांसदों के प्रदर्शन का आकलन कराया है। हर सीट पर वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, जिला अध्यक्ष, जिला संगठन मंत्री और राज्य संगठन मंत्री की राय ली गई है।
वहीं निजी एजेंसियों से मौजूदा सांसद के प्रदर्शन और संभावित उम्मीदवारों के बारे में तीन से चार सर्वेक्षण कराए गए हैं। लगभग आधे सांसदों की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं बताई जा रही है।
कुछ की सीट बदले जाने के संकेत
पार्टी का इरादा कुछ सांसदों का चुनाव क्षेत्र बदलने का है, तो कुछ अन्य का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारने की योजना है। मसलन दिल्ली के सात में से तीन सांसदों का टिकट कटना निश्चित है। जबकि उत्तर प्रदेश की 68 मौजूदा सीटों में से 25 से 30 पर नए चेहरे उतारे जा सकते हैं।
28 राज्यों में 12 में भाजपा की और छह में उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं। कुछ प्रदेशों में राज्य सरकारों के खिलाफ नाराजगी है, तो कुछ सीटों पर स्थानीय सांसदों के कामकाज से लोग नाखुश हैं।
पार्टी ने संगठन, संघ और निजी सर्वे एजेंसियों के जरिये सभी 272 सांसदों के प्रदर्शन का आकलन कराया है। हर सीट पर वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, जिला अध्यक्ष, जिला संगठन मंत्री और राज्य संगठन मंत्री की राय ली गई है।
वहीं निजी एजेंसियों से मौजूदा सांसद के प्रदर्शन और संभावित उम्मीदवारों के बारे में तीन से चार सर्वेक्षण कराए गए हैं। लगभग आधे सांसदों की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं बताई जा रही है।
कुछ की सीट बदले जाने के संकेत
पार्टी का इरादा कुछ सांसदों का चुनाव क्षेत्र बदलने का है, तो कुछ अन्य का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारने की योजना है। मसलन दिल्ली के सात में से तीन सांसदों का टिकट कटना निश्चित है। जबकि उत्तर प्रदेश की 68 मौजूदा सीटों में से 25 से 30 पर नए चेहरे उतारे जा सकते हैं।